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Jagannath Rath Yatra: आज से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू, जानिए इसके पीछे की कहानी, देखें तस्वीरें

Jagannath Rath Yatra: ओडिशा में भगवान जगन्‍नाथ की रथयात्रा आज दोपहर से शुरू हो गई है. ओडिशा के पुरी में आज भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ ओडिशा के पुरी में अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के लिए यात्रा पर निकलेंगे.
Updated on: June 20, 2023, 04.37 PM IST
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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू

सुबह से ही पूजा और रथयात्रा के लिए जरूरी विधान शुरू हो गए हैं. भगवान जगन्‍नाथ की रथ यात्रा तो दोपहर से शुरू हो गई है.  

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जगन्नाथ रथ यात्रा का सीधा प्रसारण

जगन्नाथ रथ यात्रा का सीधा प्रसारण आज 20 जून मंगलवार को सुबह 8 बजे से किया जा रहा है. डीडी-भारती, डीडी-ओडिया और अन्य दूरदर्शन चैनलों पर इसका सीधा प्रसारण देखा जा सकता है.

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पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर में पहांडी बीजे की रस्म शुरू

बलरामजी के रथ ‘तालध्वज ’ देवी सुभद्रा के रथ ‘दर्पदलन’ और भगवान जगन्नाथ के रथ के लिए ‘नंदीघोष’ के लिए पहांडी बीजे की रस्म शुरू हो गई है.  

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लाखों की संख्या में जुटे भगवान जगन्नाथ के भक्त

जगन्नाथ रथ यात्रा को लेकर भक्तों में काफी उत्साह है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु ओडिशा में इकट्ठे हुए हैं. यात्रा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं.    

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हर 12 साल में बदली जाती हैं भगवान की मूर्तियां

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर में हर 12 साल में मंदिर की मूर्ति को बदलने की परंपरा है. नई मूर्तियों की स्थापना के समय मंदिर के आसपास अंधेरा कर दिया जाता है. जो पुजारी मूर्ति को बदलने का काम करते हैं उनकी आंखों में पट्टी बंधी होती है और हाथों में कपड़ा लपेट दिया जाता है.  

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ये है रथ यात्रा को लेकर मान्‍यता

हर साल पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा में लाखों भक्त शामिल होते हैं. माना जाता है कि जो लोग भी सच्चे भाव से इस यात्रा में शामिल होते हैं, उनकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. उनके कष्ट दूर होते हैं और सौ यज्ञों के बराबर पुण्‍य की प्राप्ति होती है.  

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मौसी के घर 7 दिनों तक रहेंगे भगवान जगन्‍नाथ

आज शाम तकरीबन 6 बजे तक भगवान जगन्नाथ के गुंडिचा मंदिर पहुंचने की संभावना है. भगवान अपनी मौसी के घर 7 दिनों तक रहेंगे. इसके बाद आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को भगवान अपने धाम को वापस लौटेंगे.   

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250 नारियल से पुरी समुद्र तट पर बनाई भगवान जगन्‍नाथ की रेत कला

सुदर्शन पटनायक ने पुरी समुद्र तट पर भगवान जगन्नाथ की बेहद खूबसूरत आर्ट बनाई है. इस रेत कला में 250 नारियल का उपयोग किया गया है.  

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सबसे आगे बलराम जी का रथ, पीछे जगन्‍नाथ जी

इस रथ यात्रा में शामिल बलराम जी के रथ को ‘तालध्वज ’ कहते हैं. देवी सुभद्रा के रथ को ‘दर्पदलन’ कहा जाता है और भगवान जगन्नाथ के रथ को ‘नंदीघोष’ या ‘गरुड़ध्वज ’ कहा जाता है. रथ यात्रा के दौरान सबसे आगे चलने वाला रथ बलरामजी का होता है. बीच में सुभद्रा देवी का रथ होता है और सबसे पीछे भगवान जगन्नाथ होते हैं. 

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नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं रथ

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ नारियल की लकड़ी से बनाए जाते हैं ताकि रथ हल्की रहें. ये लकड़ी हल्की होती हैं और इन्हें आसानी से खिंचा जा सकता है. भगवान जगन्नाथ के रथ का रंग लाल और पीला होता है. इसके अलावा यह रथ बाकी रथों की तुलना में भी आकार में बड़ा होता है. उनकी यात्रा बलभद्र और सुभद्रा के रथ के पीछे होती है.

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2 महीने में बनता है रथ

रथ बनाने में लगभग 2 महीने का वक्त लगता है, इस दौरान रथ बनाने वाले लोग सात्विक तरीके से रहते हैं और दिन में एक बार ही भोजन करते हैं

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अक्षय तृतीया से शुरू होता है रथ बनाने का काम

पुरी की विशाल रथ यात्रा के लिए रथ को तैयार करने का काम हर साल अक्षय तृतीया के दिन से शुरू हो जाता है.  

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पेड़ों की विधि विधान से होती है पूजा

रथ का काम शुरू होने से पहले पुजारी उन पेड़ों की विधि विधान से पूजा करते हैं, जिनसे इन रथों को तैयार किया जाता है. उसके बाद सोने की कुल्हाड़ी को भगवान जगन्‍नाथ से स्पर्श करवाकर पेड़ों पर कट लगाया जाता है.

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भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आज से शुरू

सुबह से ही पूजा और रथयात्रा के लिए जरूरी विधान शुरू हो गए हैं. भगवान जगन्‍नाथ की रथ यात्रा तो दोपहर से शुरू हो गई है.  

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अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाएंगे भगवान

ओडिशा के पुरी में आज भगवान जगन्‍नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ ओडिशा के पुरी में अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के लिए यात्रा पर निकलेंगे.