रोड एक्‍सीडेंट की खबरें आए दिन आप पढ़ते और सुनते रहते हैं. लेकिन WHO ने इस मामले में जो खुलासे किए हैं, वो वाकई चौंकाने वाले हैं. WHO के मुताबिक दुनिया भर में रोड एक्‍सीडेंट के चलते हर एक मिनट में दो लोगों की मौत हो रही है. हर दिन 3200 लोग सड़क हादसों में गंवा देते हैं. दुनिया में 5 से 29 साल के लोगों में मौत का सबसे बड़ा कारण रोड एक्‍सीडेंट है. वहीं अगर इस मामले में भारत की बात करें तो 71 प्रतिशत लोगों की जान ओवर स्पीडिंग ले रही है और सड़क हादसों में जान गंवाने वाले आधे लोग टू व्हीलर सवार होते हैं. यहां हम आपके लिए सड़क हादसों से जुड़ी ऐसी ही जानकारी लेकर आए हैं, जो आपको सोचने पर मजबूर कर देगी. 

भारत के आंकड़े

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रोड एक्‍सीडेंट के मामले में आंकड़े बताते हैं कि भारत में रोड एक्सीडेंट्स के शिकार 10 में से 4 लोग मारे जाते हैं. साल 2022 में 4,61,312 रोड एक्सीडेंट्स हुए जिसमें से 4,33,366 लोग घायल हुए और 1,68,491 की जान  

चली गई. हर रोज 1263 रोड एक्सीडेंट्स हुए और 461 मौतें हुईं. वहीं घंटे की बात करें तो हर घंटे 53 एक्सीडेंट्स हुए और 19 लोगों की मौत हुई.

 वहीं अगर 2021 की बात करें तो उस साल 4,13,000 रोड एक्सीडेंट्स हुए जिसमें से 3,85,000 घायल हुए और 1,53,000 मारे गए. अगर रोजाना के हिसाब से इस आंकड़े को देखें तो हर रोज 1130 हादसे हुए और 422 मौतें हुईं, वहीं घंटे के हिसाब से हर घंटे 47 एक्सीडेंट्स और 18 मौतें हुईं.

ओवर स्पीडिंग के कारण 72% एक्सीडेंट्स 

  • ओवर स्पीडिंग की वजह से पिछले साल 72% एक्सीडेंट्स और 71% मौतें हुई. 
  • नेशनल हाइवे पर 56% एक्सीडेंट्स होते हैं.
  • भारत में कुल रोड एक्सीडेंट में जान गंवाने वालों में से 61% नेशनल हाइवे पर हुए एक्सीडेंट्स में मारे जाते हैं.
  • जान गंवाने वालों में सबसे ज्यादा 64% पैदल और टू व्हीलर चलाने वाले लोग हैं.
  • जबकि भारत के कुल रोड नेटवर्क में नेशनल हाइवे की हिस्सेदारी केवल 4.9% है.

भारत में रोड एक्‍सीडेंट की बड़ी वजहें

  • ओवर स्पीडिंग – 71 प्रतिशत यानी 1 लाख 1,19,904 लोगों की जान ओवर स्पीडिंग में गई. सिर्फ ओवर स्पीडिंग की वजह से भारत में दोगुने से ज्यादा लोग मारे जाते हैं. 
  • रॉन्‍ग साइड ड्राइविंग – 9094 लोग यानी 5% की जान गलत साइड से गाड़ी चलाने से हुई.
  • नशे में गाड़ी चलाना – मौत की तीसरी वजह 4201 लोग मारे गए.
  • मोबाइल फोन - 2% लोग यानी कुल 3395 लोग मोबाइल पर बात करने की वजह से सड़क हादसों का शिकार होकर मारे गए.
  • लाल बत्ती- लाल बत्‍ती पार करने की वजह से 1462 लोग मारे गए.

कैसे बदलेगा लोगों का खराब रवैया ये बड़ा सवाल है?

भारत में लेन ड्राइविंग के बारे में तो बात करना ही बेकार है. ओवरटेकिंग, ओवर स्पीडिंग और कहीं भी अपनी मर्ज़ी से गाड़ी को बीच सड़क में रोक देना, ट्रैफिक सिग्नल्स का सम्मान ना करना और उस पर ये आत्मविश्वास, कि अगर ट्रैफिक नियम तोड़ने पर किसी ने पकड़ लिया तो कुछ ले-देके मामला निपट जाएगा. य़े वो बड़ी वजहें हैं जो सड़क को लोगों के लिए सुरक्षित बनाने के हर प्रयास को बेकार साबित कर देते हैं. केंद्र सरकार World bank की मदद से 7 हज़ार 500 करोड़ रुपए की एक योजना लाई है जिसके इस्तेमाल से हाइवे पर होने वाले एक्सीडेंट्स की वजहों को दुरुस्त किया जा सके. लेकिन सबसे बड़ी वजह है लोगों का रवैया इसे कैसे बदला जाए ये एक बड़ा सवाल है. 

भारत के आंकड़े   

  • रोड ट्रांसपोर्ट मंत्रालय के मुताबिक भारत में सड़क हादसों में मरने वालों में सबसे ज्यादा 18 से 45 साल के लोग है.
  • भारत में हुए कुल सड़क हादसों में 66.5% यानी 1,12,072 लोग 18 से 45 साल की उम्र के हैं.
  • साल 2022 में 18 साल से कम के 9,528 बच्चों की जान रोड एक्सीडेंट्स में हो गई। इसका मतलब हर रोज 26 बच्चों की जान 2022 में एक्सीडेंट में चली गई.

शहरों में दिल्ली सड़क हादसों में टॉप पर  

  • शहरों के मामले में रोड एक्सीडेंट्स में दिल्ली पहले नंबर पर है. दिल्ली में पिछले साल रोड एक्सीडेंट्स में 1461 मौतें हुई हैं. बैंगलुरु में  772 मौतें. टॉप 5 शहरों में दिल्ली और बैंगलुरु के बाद जयपुर, कानपुर और इंदौर का नंबर है.
  • तमिलनाडु में सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स और यूपी में सबसे ज्यादा मौतें   
  • 2022 में तमिलनाडु में सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स हुए जबकि उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मौतें हुईं.
  • रोड एक्सीडेंट्स के मामले में उत्तर प्रदेश का नंबर पांचवां है.  
  • तमिलनाडु में कुल एक्सीडेंट्स के 13.9% एक्सीडेंट्स हुए. कुल 64105 रोड एक्सीडेंट्स.
  • मध्यप्रदेश में 11.8% यानी कुल 54432 एक्सीडेंट्स.
  • और केरल में 9.5% यानी 43910 एक्सीडेंट्स
  • यूपी में 9% एक्सीडेंट्स हुए, इसमें कुल 41746 एक्सीडेंट्स हुए और 8479 लोग मारे गए. ज‍बकि तमिलनाडु में 5978 लोग मारे गए. 
  • महाराष्ट्र में 4923 लोग मारे गए. 
  • देश में सबसे कम सड़क हादसों और मौतों वाला राज्य गुजरात है.

1 प्रतिशत स्‍पीड बढ़ने से 4 प्रतिशत बढ़ता है खतरा

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकलन के मुताबिक स्पीड लिमिट 1 परसेंट बढ़ने से खतरनाक एक्सीडेंट का खतरा 4 प्रतिशत तक बढ़ जाता है.
  • अगर कार 50 किलोमीटर प्रतिघंटा से 65 किलोमीटर प्रतिघंटा पर आ जाए तो पैदल चलने वालों के लिए कार के आगे से टकराकर मारे जाने का खतरा साढे चार गुना बढ़ जाता है.
  • सही हेलमेट मौत के खतरे को 6 गुना और ब्रेन इंजरी के खतरे को 74% तक घटा सकता है. 
  • सीट बेल्ट लगाने से एक्सीडेंट में मारे जाने का खतरा 50% तक कम हो सकता है.  
  • मोबाइल पर बात करने वाले ड्राइवर दूसरों के मुकाबले एक्सीडेंट के 4 गुना खतरे पर होते हैं. 

दुनिया के सबसे ज्‍यादा रोड एक्‍सीडेंट अमेरिका में

अमेरिका में दुनिया के सबसे ज्यादा रोड एक्सीडेंट्स होते हैं लेकिन एक्सीडेंट में मौत सबसे ज्यादा भारत में होती हैं. भारत रोड एक्सीडेंट्स के मामले में दुनिया के 20 सबसे खराब देशों में शामिल है. इसके बाद नंबर आता है चीन और तीसरे नंबर पर अमेरिका का. 2020 के डाटा के आधार पर जारी किए गए ग्लोबल रोड स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक भारत में 2020 में 345238 एक्सीडेंट हुए और मौतें हुईं 1,31,714. चीन में 61703 लोगों की जान गईं. कुल मौतों के मामले में चीन का नंबर दूसरा है. अमेरिका में 19,27,654 एक्सीडेंट्स हुए लेकिन 38824 लोग मारे गए.    वैसे एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि इन देशों का आबादी का क्रम भी ऐसा ही है. भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा लोग रहते हैं उसके बाद चीन और तीसरे नंबर पर अमेरिका की आबादी है.

6 देश ही इन मामलों में गंभीर

दुनिया के केवल 6 देश ऐसे हैं जो ओवर-स्पीडिंग, शराब पीकर गाड़ी चलाने, मोटरसाइकिल सवार के हेलमेट्स, सीट बेल्ट्स के कानूनों को लेकर गंभीर हैं. 140 देश इनमें से किसी एक पर ही गंभीरता से काम कर रहे हैं. केवल 51 देश ऐसे हैं जो सड़कों के सेफ्टी इंस्पेक्शन करते हैं. WHO का अनुमान है कि दो पहिया गाड़ियों की संख्या 2030 तक डबल हो जाएगी लेकिन केवल 35 देश ऐसे हैं जो बाइक्स में एडवांस ब्रेकिंग सिस्टम, फ्रंट एंड साइड प्रोटेक्शन पर काम कर रहे हैं.

वो देश जहां 10 सालों में घटकर आधे हो गए सड़क हादसे  

108 देशों ने रोड एक्सीडेंट्स में कमी लाने में कामयाबी हासिल की है लेकिन दुनिया के 10 देश ऐसे हैं जो रोड एक्सीडेंट्स का आंकड़ा 50 प्रतिशत तक कम कर पाए हैं. ये देश हैं - यूनाइटेड अरब अमीरात, वेनेजुएला, बेलारूस, ब्रूनेई, डेनमार्क, जापान, लिथुआनिया, नॉर्वे, रशियन फेडरेशन, ट्रिनीदाद एंड टोबेगो.