नवरात्री आज से शुरु हो चुकि हैं, यह त्यौहार आश्विन महीने में शुक्ल पक्ष (चंद्रमा के बढ़ते चरण) के दौरान होता है, इसलिए इसे यह नाम दिया गया है. प्रतिपदा तिथि, नवरात्रि का पहला दिन, देवी के आगमन का प्रतीक होता है. बता दें कि पहले दिन माता शैलपुत्री जिन्हें हेमावती और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है, इनकी पूजा की जाती है. ऐसा कहा जाता है कि अपने आत्मदाह के बाद देवी सती ने राजा हिमालय के घर शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया.

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शैलपुत्री दो शब्दों से मिलकर बना है: शैल, जिसका अर्थ है पर्वत, और पुत्री, जिसका अर्थ है बेटी, यानी पहाड़ों की बेटी. उन्हें दो हाथों से चित्रित किया गया है, दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल है. देवी शैलपुत्री को वृषारूढ़ा के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वह सफेद बैल पर सवार होती हैं. 

ऐसे होगी घटस्थापना

नवरात्रि के पहले दिन, अभिजीत मुहूर्त सबसे शुभ अवधि है क्योंकि चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग हो रहे हैं, और इस नक्षत्र और योग के दौरान घटस्थापना करना अशुभ है, इसलिए भक्तों के पास 11:09 बजे शुरू होने वाले कलश स्थापना के लिए लगभग 45 मिनट का समय होगा. पूर्वाह्न और 11:56 पूर्वाह्न पर समाप्त होगा.

पूजा विधि के ये हैं तरीके

त्योहार की शुरुआत घटस्थापना से होती है और उसके बाद पंचोपचार पूजा होती है. देवी शैलपुत्री को तेल का दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल और देसी घी से बनी मिठाइयां भोग के रूप में अर्पित की जाती हैं. बता दें कि गुलाबी रंग देवी शैलपुत्री को समर्पित है.

नवरात्रि का ये है महत्व

नवरात्रि के पहले दिन भक्त मां शैलपुत्री की पूजा करते हैं और परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगते हैं. संस्कृत में नवरात्रि का अर्थ है 'नौ रातें' इसका उद्देश्य देवी दुर्गा और उनके नौ अवतारों की पूजा करना है, जिन्हें नवदुर्गा के नाम से जाना जाता है. हिंदू साल भर में कुल चार नवरात्रि मनाते हैं , उनमें से केवल दो, चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में व्यापक उत्सव देखे गए, क्योंकि वे ऋतुओं की शुरुआत के साथ मेल खाते हैं.

भारत में, नवरात्रि कई तरीकों से मनाई जाती है. रामलीला, एक उत्सव जिसमें रामायण के दृश्यों का प्रदर्शन किया जाता है, उत्तर भारत में आयोजित किया जाता है, मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार और मध्य प्रदेश में. राजा रावण के पुतले का दहन विजयदशमी की कहानी के समापन का प्रतीक है.

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