Rare Diseases Medicines: भारत में कुल मिलाकर सात फीसदी आबादी किसी ना किसी रेयर बीमारी की चपेट में हैं. जो बीमारी 1000 में से 1 व्यक्ति या उससे कम को हो उसे रेयर यानी दुर्लभ बीमारी माना जाता है. भारत में ऐसी 200 से ज्यादा दुर्लभ बीमारियां हैं. भारत में 8.4 से 10 करोड़ मरीजों को कोई ना कोई रेयर बीमारी है.  80 फीसदी बीमारियों के कारण जेनेटिक होते हैं. अब 13 दुर्लभ बीमारियों पर सरकार ने काम करना शुरू कर दिया गया है. भारत अब इन दवाओं को जरूरतमंद देशों को किफायती दाम पर भी बेच सकेगा.

Rare Diseases Medicines: Gaucher के इलाज के खर्चे में आई सालाना 60 फीसदी की कमी

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सरकार द्वारा आठ दुर्लभ बीमारियों की दवा पर काम चल रहा है.  जिसमें से चार दवाएं बाजार में आ चुकी है.  बाकी चार दवाएं रेगुलेटरी प्रक्रिया में हैं. अगले कुछ महीनों में ये भी बाजार में आ सकेंगी. इन दवाओं में  Gaucher बीमारी से लेकर स्पाइनल मस्क्युलर एट्रॉफी (SMA) जैसी बीमारियां शामिल है. Gaucher के इलाज में सालाना 3.5 करोड़ का खर्च आता है क्योंकि इसकी सभी दवाएं विदेश से ही आती हैं. इसका खर्च अब 3 से 6 लाख सालाना हो गया है. ऐसे में सीधे 60 गुना की कमी आ गई है. 

Rare Diseases Medicines: 16 करोड़ रुपए में आता है SMA बीमारी का इंजेक्शन

SMA बीमारी की दवा हमेशा चर्चा में रहती है. इसके लिए जेनेटिक थेरेपी का इंजेक्शन Zolgensma 16 करोड़ का एक इंजेक्शन आता है. इसे भारत में बनाने पर काम चल रहा है. 10 किलो वजन तक के बच्चे को करोड़ों का इलाज अब कुछ लाख में मिल सकेगा. वहीं, Tyrosinemia जो पैदाइश से होने वाली लिवर की गंभीर बीमारी है. इसकी दवा nitisinone पहले स्वीडन से आती थी इसकी 2 एमजी की दवा 5 लाख रुपए की आती है . ये अब भारत में  जेनेरिक दवा के तौर पर 6 हजार और ब्रांडेड में 16 हजार में मिल सकेगी.

Rare Diseases Medicines: 405 रुपए में मिलेगा 70 हजार रुपए का सिरप, बच्चों को देना होगा जरूरी 

Tyrosinemia का इलाज सालाना 6 करोड़ तक का हो सकता है. अब ये दवा भारत में बनने लगी है जिसका खर्च घटकर 2.5 लाख रुपए हो गया है. ऐसे में सीधे 100 गुना की कमी आई है. सिकल सेल एनीमिया के इलाज का सिरप से होता है.  विदेश से hydroxyurea का 100 एम एल का सिरप 70 हजार का आता है.  भारत में अब ये सिरप 405 रुपए में बन सकेगा. पांच साल तक के बच्चों को यही सिरप देना जरूरी है.