28 अक्‍टूबर से शुरू हो चुका छठ का पर्व 31 अक्‍टूबर को समाप्‍त होगा. हर साल कार्तिक मास की शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से इस व्रत की शुरुआत होती है. पहला दिन नहाय-खाय का होता है और दूसरे दिन खरना होता है. खरना वाले दिन छठी मैया और सूर्य देव के लिए विशेष व्‍यंजन बनाए जाते हैं. इस बीच संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं. तीसरे दिन डूबते सूरज और चौथे दिन उगते सूरज को अर्घ्‍य दिया जाता है. इसके बाद इस पर्व का समापन होता है.

छठ के पर्व के दौरान छठी मैया की पूजा कर उन्‍हें प्रसन्‍न किया जाता है. माता की प्रसन्‍नता के लिए छठ के दौरान कठिन नियमों का पालन किया जाता है और उन नियमों के पालन के लिए बहुत संयम की जरूरत होती है. माना जाता है कि नियमों के साथ पूजा करने पर ही छठी मैया का आशीष प्राप्‍त होता है.

ये हैं छठ पर्व के नियम

  • छठ पूजा का पर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होता है. इस दिन घर की अच्‍छी तरह से साफ-सफाई वगैरह की जाती है और सात्विक भोजन किया जाता है. इस दिन से घर में प्‍याज और लहसुन का इस्‍तेमाल बिल्‍कुल बंद हो जाता है.
  • छठ का प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई का बेहद खयाल रखा जाता है. इस प्रसाद को केवल वही लोग बना सकते हैं, जिन्‍होंने ये व्रत रखा हो. प्रसाद में इस्‍तेमाल किए जाने वाले अनाज को अच्‍छी तरह से साफ किया जाता है. इसे घर पर ही धोकर, कूटकर और पीसकर बनाया जाता है.
  • इस अनाज को कोई जूठा न करे या गंदे हाथों से न छुए, इस बात का विशेष खयाल रखा जाता है. ये प्रसाद चूल्‍हे पर बनाया जाता है और इसे बनाते समय पवित्रता का‍ विशेष ध्‍यान रखा जाता है. प्रसाद को हमेशा हाथ-मुंह धोने के बाद ही हाथ लगाया जाता है.
  • छठी मैया को चढ़ाई जाने वाली हर चीज अखंडित होनी चाहिए. ऐसे में पूजा में उन फल और फूल को भी इस्‍तेमाल नहीं किया जाता, जिन्‍हें किसी पक्षी ने जूठा किया हो, या किसी अन्‍य कारणवश वो थोड़े भी कट गए हों.
  • पूजा के दौरान पहनी जाने वाली साड़ी भी अखंडित होनी जरूरी है यानी उस पर सुई वगैरह से फॉल आदि न लगाई गई हो, कहीं से कटी-फटी न हो. एकदम कोरी और नई साड़ी ही इस पूजा में पहनी जाती है.
  • पूजा के लिए बांस से बने सूप और टोकरी का इस्‍तेमाल किया जाता है. इसके अलावा नए सूप और थाल वगैरह इस्‍तेमाल किए जाते हैं. छठ का व्रत रखने वालों को चटाई बिछाकर जमीन पर सोने का नियम है. उनके लिए बिस्‍तर पर सोना वर्जित बताया गया है.