TRAI news: दूरसंचार नियामक ट्राई (TRAI) ने बुधवार को डिजिटल ट्रांजैक्शन (digital transaction) को बढ़ावा देने को लेकर मोबाइल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं (Mobile banking-payment Service) के लिए मोबाइल स्क्रीन पर एकबारगी दिखने वाले यानी यूएसएसडी (Unstructured Supplemental Services Data) संदेशों पर लगने वाले शुल्क को हटाने का प्रस्ताव किया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, यूएसएसडी मैसेज (USSD) मोबाइल फोन के स्क्रीन पर दिखता है और एसएमएस की तरह यह फोन में ‘स्टोर’ नहीं होता.

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यूएसएसडी मैसेज क्या होते हैं

खबर के मुताबिक, यूएसएसडी मैसेज टेक्नोलॉजी का व्यापक तौर पर इस्तेमाल मोबाइल फोन पर बातचीत या एसएमएस के बाद पैसे कटने या संबंधित टेलीकॉम कंपनी से फोन रीचार्ज और दूसरी जानकारी मांगने पर दिए जाने वाले संदेश में होता है. फिलहाल भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने यूएसएसडी सेशन के लिए कीमत 50 पैसे नियत की हुई है. हर सेशन आठ फेज में पूरा हो सकता है.

मकसद डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करना है

डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से गठित एक हाई लेवल समिति ने यह सुझाव दिया है. इसका मकसद डिजिटलीकरण को प्रोत्साहित करना और वित्तीय समावेशन को बढ़ाना है. वित्तीय सेवा विभाग (DFS) भी समिति की सिफारिशों से सहमत है. ट्राई ने एक बयान में कहा कि वित्तीय सेवा विभाग के इस संदर्भ में दूरसंचार विभाग से आग्रह के बाद नियामक ने मामले के विभिन्न पहलुओं का विश्लेषण किया है. 

यूएसएसडी फीस को युक्तिसंगत बनाना जरूरी

ट्राई का मानना है कि यूएसएसडी यूजर्स के हितों की रक्षा और डिजिटल वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिये यूएसएसडी फीस को युक्तिसंगत बनाना जरूरी है. नियामक ने कहा कि इसके मुताबिक, प्राधिकरण ने यूएसएसडी आधारित मोबाइल बैंकिंग और भुगतान सेवाओं के लिए प्रति यूएसएसडी सेशन के लिए जीरो फीस का प्रस्ताव किया है. इसमें यूएसएसडी से जुड़ी दूसरी चीजों को पहले की तरह कायम रखा गया है. 

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8 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं

बयान के मुताबिक, मोबाइल बैंकिंग के लिए प्रति यूएसएसडी सेशन को लेकर मौजूदा शुल्क ढांचा एक मिनट के लिए किए गए ‘वॉयस कॉल’ या एक एसएमएस की दर से कई गुना ऊंचा है. ट्राई ने कहा कि दूसरी सेवाओं के लिए शुल्क में कमी को देखते हुए यूएसएसडी लेन-देन की संख्या बढ़ाने को लेकर दरों को युक्तिसंगत बनाने की जरूरत है. नियामक ने प्रस्ताव के मसौदे पर विभिन्न पक्षों से 8 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं.