सोशल मीडिया का वीडियो ऐप टिक-टॉक ने अपने ऊपर लगे प्रतिबंध को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट को 24 अप्रैल तक कोई फैसला लेने के निर्देश दिया है. शीर्ष अदालत ने यहां तक कहा है कि अगर हाईकोर्ट तय समयसीमा तक कोई फैसला नहीं लेती है तो टिक-टॉक पर लगा प्रतिबंध स्वत: ही हट जाएगा. 

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टिक-टॉक ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करते हुए कहा कि मद्रास हाईकोर्ट ने उसका पक्ष सुने बिना ही ऐप पर रोक लगा दी. कोर्ट की इस रोक से ऐप कंपनी को रोजाना करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है. 

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास हाईकोर्ट को ‘टिक-टॉक’ ऐप पर लगाए प्रतिबंध को हटाने की मांग वाली याचिका पर 24 अप्रैल तक निर्णय लेने का निर्देश दिया.

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि अगर मद्रास हाईकोर्ट 24 अप्रैल तक याचिका पर फैसला नहीं कर पाया तो टिक-टॉक एप पर प्रतिबंध लगाने वाला उसका आदेश निरस्त माना जाएगा. शीर्ष अदालत ने इससे पहले मद्रास उच्च न्यायालय के केंद्र को ‘टिक-टॉक’ एप पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश देने के फैसले पर रोक लगाने से मना कर दिया था.

अश्लील सामग्री परोसने का आरोप

मद्रास उच्च न्यायालय ने इस ऐप के जरिए अश्लील एवं अनुचित सामग्री परोसे जाने का हवाला देते हुए केंद्र सरकार को ‘टिक-टॉक’ ऐप पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया था. टिक-टॉप ऐप पर अश्लील सामग्री को बढ़ावा देने और समाज में हिंसा फैलाने वाले विडियो पोस्ट किए जाने का आरोप लगाते हुए मद्रास हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को इस ऐप पर प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए थे.

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हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद टिक-टॉक ऐप ने अपने पेज से 60 लाख से अधिक वीडियो को हटा दिया है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर टिक-टॉक तेजी से बढ़ता हुआ ऐप है. भारत में इसके 8 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं.