ये इंटरनेट का दौर है. इंटरनेट के माध्यम से किसी भी सूचना को एक सेकंड में एक जगह से दूसरी जगह भेजा जा सकता है. लेकिन इंटरनेट का ये फायदा कभी-कभी नुकसान भी देता है. आज कल गलत और फेक न्यूज तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसके कारण ये हिंसा का रूप भी ले लेती है. इसी को देखते हुए, कर्नाटक सरकार ने झूठी खबरों और सूचना प्रचार का मुकाबला करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट स्थापित करने का फैसला किया है. राज्य मंत्री प्रियांक खड़गे ने सोमवार को घोषणा की. राज्य के IT मंत्री के मुताबिक, कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में एक टेंडर जारी किया है और पांच कंपनियों को शॉर्टलिस्ट किया है.

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वेरिफिकेशन के बाद कंपनियों के नामों की घोषणा 

सोमवार को खड़गे ने कहा कि एक बार इन कंपनियों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, कंपनियों के नामों की घोषणा की जाएगी. मंत्री ने कहा, शॉर्टलिस्ट कंपनियों के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिसिस और झूठी खबरों को रोकने और फैक्ट चेकिंग की प्रक्रियाओं के क्षेत्र में विशेषज्ञता है.

कंपनी चयन के मानदंड क्या हैं?

कंपनियों के चयन के मानदंड में यह शामिल है कि वे भारतीय हों और उनके पास फैक्ट चेकिंग और संबंधित सर्विस में कम से कम तीन साल का न्यूनतम अनुभव हो. खड़गे ने कहा कि सरकार भरोसेमंद कंपनियों को प्राथमिकता देगी. उन्होंने बताया कि कुल सात कंपनियों ने सरकार से संपर्क किया था, लेकिन बाकि दो को शामिल करने का निर्णय वेरिफिकेशन होने के बाद ही लिया जाएगा.

दुष्प्रचार पर लगाम के लिए तीन विंग योजना 

खड़गे ने कहा, झूठी खबरों और दुष्प्रचार पर लगाम लगाने के लिए तीन विंग बनाने की योजना है. पहली एक फैक्ट चेकिंग टीम है जो झूठी ख़बरों का पता लगाएगी और उसका समाधान करेगी. दूसरी एक एनालिटिक्स टीम है जो झूठी खबरों के इकोसिस्टम की निगरानी करेगी और तीसरी एक कैपेबिलिटी इंप्रूवमेंट टीम है जो झूठी खबरों और प्रचार के बारे में जागरूकता पैदा करने और लोगों को शिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करेगी.