सरकार ने गूगल के कुछ ऐप को प्ले स्टोर से हटाने पर कड़ा रुख अपनाया है. केंद्रीय दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ऐप को हटाने की अनुमति नहीं दी जाएगी. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया है कि सरकार ने विवाद सुलझाने के लिए गूगल और प्ले स्टोर से हटाए गए ऐप को अगले सप्ताह बैठक के लिए बुलाया है. गौरतलब है कि इंफो एज (इंडिया) लिमिटेड ने शनिवार को शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा कि उसके मोबाइल ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा- 'स्टार्टअप को मिलेगी सुरक्षा, गूगल से की है बात'

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पीटीआई से बातचीत में आईटी और दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की कुंजी है और उनके भाग्य का फैसला किसी बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनी पर नहीं छोड़ा जा सकता है. बकौल अश्विनी वैष्णव, 'भारत सरकार की नीति बहुत स्पष्ट है. हमारे स्टार्टअप को वह सुरक्षा मिलेगी, जिसकी उन्हें जरूरत है. मैंने पहले ही गूगल से बात की है.मैंने उन ऐप डेवलपर से भी बात की है, जिन्हें हटाया गया है. हम उनसे अगले हफ्ते मिलेंगे. इस तरह ऐप को हटाने की अनुमति नहीं दी जा सकती.'

गूगल प्ले स्टोर से हटाई ये ऐप, इन्फो एज कंपनी ने शेयर बाजार को दी जानकारी

इन्फो एज द्वारा शेयर बाजार को दी गई जानाकारी जिन ऐप को गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है, उनमें नौकरी डॉट कॉम, 99 एकड़ डॉट कॉम और शिक्षा डॉट कॉम शामिल हैं. इससे एक दिन पहले गूगल ने सेवा शुल्क भुगतान पर विवाद को लेकर भारत में अपने प्ले स्टोर से कुछ लोकप्रिय ऐप सहित अन्य ऐप को हटाना शुरू कर दिया था. शेयर बाजार को दी जानकारी में कहा गया है कि यह कार्रवाई कंपनी के लिए आश्चर्य की बात है क्योंकि गूगल ने उचित नोटिस दिए बिना ऐसा किया.

गूगल ने हटाने की बताई थी ये वजह, बिलिंग मानदंडों का उल्लंघन कर रही हैं कंपनियां

गूगल ने शुक्रवार को कहा था कि कई जानी-मानी फर्मों सहित कई कंपनियां उसके ‘बिलिंग’ मानदंडों का उल्लंघन कर रही हैं। ये कंपनियां बिक्री पर लागू प्ले स्टोर सेवा शुल्क का भुगतान नहीं कर रही हैं.  गूगल ने कहा कि इन डेवलपर को तैयारी के लिए तीन साल से अधिक का समय दिया गया. इसमें उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दिया गया तीन सप्ताह का समय भी शामिल है. गूगल ने कहा कि इसके बाद अब वह यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठा रही है, कि उसकी नीतियां सभी पर समान रूप से लागू हों.

पीटीआई-भाषा के इनपुट के साथ