How smartphones affects our life: स्मार्टफोन आज की दुनिया में एक जरूरत बन चुकी है, लेकिन यह पर्सनल कम्यूनिकेशन और रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है. स्मार्टफोन कंपनी वीवो (Vivo) की तरफ से किए गए एक सर्वेक्षण से यह तथ्य (फैक्ट्स) सामने आया है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि बहुत से माता-पिता को लगता है कि उनके द्वारा स्मार्टफोन के बहुत ज्यादा इस्तेमाल करने की वजह से बच्चों के साथ उनके संबंधों पर असर पड़ा है.

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1,100 लोगों ने सवालों के जवाब दिए

खबर के मुताबिक, वीवो ने अपनी ‘स्मार्टफोन का मानव संबंधों पर प्रभाव-2021’ रिपोर्ट में बच्चों और उनके माता-पिता दोनों द्वारा मोबाइल डिवाइस के बहुत ज्यादा इस्तेमाल के चलते बच्चों पर व्यावहारिक प्रभाव पर गौर किया है. सर्वेक्षण साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) की मदद से किया गया था और इसमें बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे सहित आठ प्रमुख शहरों में 1,100 लोगों ने सवालों के जवाब दिए.

बच्चों के साथ संबंध खराब होने की संभावना

रिपोर्ट के मुताबिक, 74 प्रतिशत भारतीय माता-पिता (उत्तरदाताओं) ने कहा कि उन्हें लगता है कि ऐसा संभव है कि स्मार्टफोन के चलते उनके बच्चों के साथ उनके संबंध खराब हुए हों. लगभग 75 प्रतिशत लोगों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन की वजह से उनका ध्यान भटका और अपने साथ अपने बच्चों के होने के बावजूद वे उनपर ध्यान नहीं दे रहे थे.

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स्मार्टफोन पर बिताए जाने वाले समय 

लगभग 69 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनका मानना ​​है कि जब वे अपने स्मार्टफोन में डूबे रहते हैं, तो अपने बच्चों, परिवेश और लोगों पर उनका ध्यान नहीं जाता जबकि 74 प्रतिशत ने कहा कि जब उनके बच्चे उनसे कुछ पूछते हैं, तो वे चिढ़ जाते हैं. सर्वेक्षण के मुताबिक, (कोविड के बाद के समय में) स्मार्टफोन पर बिताया जाने वाला औसत दैनिक समय खतरनाक स्तर पर बना हुआ है. कोविड से पहले के समय की तुलना में स्मार्टफोन पर बिताए जाने वाले समय (4.94 घंटे) में 32 प्रतिशत की बढ़ोतरी (6.5 घंटे) हुई है.