इसे गेम खेलने की लत का सबसे गंभीर स्तर कहें या कुछ और, लेकिन तीन साल पहले दिल्ली के दो भाइयों को गेम ने इस तरह से अपने काबू में ले लिया कि वे भोजन करना, नहाना, सोना और बाथरूम जाना तक भूल जाते थे. उन्हें अंत में पुनर्वास सुविधा (रिहैबिटेशन फैसिलिटी) में भेजना पड़ा. गेमिंग की दुनिया में तीन साल एक लंबा समय है, लेकिन तकनीक की दुनिया में यह और बदतर हो गया है. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

स्मार्टफोन के सस्ते और बेहतर होने के साथ पुराने मोबाइल गेमिंग ऐप बंद हो गए हैं और लाखों भारतीय युवा अब प्लेयर-अननोन बैटलग्राउंड (PUBG) जैसे गेमों को खेल रहे हैं. पिछले हफ्ते छह घंटों तक लगातार पब्जी खेलने के बाद मध्य प्रदेश के नीमच में 12वीं कक्षा के 16 वर्षीय एक छात्र फुरकान कुरैशी की मौत हो गई. उसने जैसे ही मल्टी-प्लेयर वाले मोबाइल गेम में अपना मिशन खोया, अचानक दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. 

(रॉयटर्स)

PUBG के जैविक और मानसिक आफ्टर-इफेक्ट्स का इलाज करने वाले कार्डियोलॉजिस्ट ने अब सरकार से आग्रह किया है कि इससे पहले गेम कि यह लत भारत में और अधिक बच्चों के जीवन को खतरे में डाले, इसे बंद किया जाए. 

नीमच के पुखरायां अस्पताल में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अशोक जैन ने कहा, "वह एक युवा लड़का था, जिसका हृदय स्वस्थ था. वह एक तैराक था, जिसे हृदय से संबंधित कोई बीमारी नहीं थी." उन्होंने कहा, "चिंता, क्रोध और हार्मोन में आए अचानक बदलाव ने गहरे सदमे की स्थिति पैदा कर दी, जिसके कारण दुर्भाग्य से उसे दिल का दौरा पड़ा." जैन ने कहा, "जब उसे यहां लाया गया, उसकी नाड़ी काम नहीं कर रही थी. हमने उसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की, लेकिन हम असफल रहे."