Supreme Court on Digital Media Guidelines: सोशल मीडिया को लेकर नए नियमों का असर दिखाई देने लगा है. सुप्रीम कोर्ट में अब केस की सुनवाई के लिए व्हाट्सऐप (Whatsapp) के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का लिंक शेयर नहीं किया जाएगा. सोशल मीडिया को लेकर बनाए गए नए नियमों के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला लिया है.

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दरअसल, कोरोनावायरस महामारी के चलते अदालतों में अभी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई रही है. सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस का लिंक व्हाट्सऐप के जरिये ही वकीलों और केस से जुड़ी सभी पार्टियों के साथ शेयर किया जाता है. कोर्ट ने अब सुनवाई के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस का लिंक व्हाट्सऐप पर भेजने पर रोक लगा दी है. कोर्ट अब वीडियो कॉन्फ्रेंस का लिंक वकीलों के साथ उनके ईमेल आइडी और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर भेजेगा.

कोर्ट (Supreme Court) ने नए फरमान के बारे में एक सर्कुलर जारी कर दिया है. सर्कुलर में कहा गया है कि नए इन्फॉर्मेंशन टेक्नोलॉजी (गाइडेंस फॉर इंटरमीडियरीज एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 (New IT Rules 2021) के कारण सुनवाई के वीडियो लिंक व्हाट्सऐप पर नहीं भेजने का फैसला किया गया है. यह फैसला 1 मार्च, 2021 से लागू माना जाएगा.

बता दें कि बीते 24 मार्च को सरकार ने सोशल मीडिया के लिए नई गाइडलाइन (Digital Media Guidelines) का ऐलान किया था. इसके लिए नए आईटी नियमों ( IT rules) में भी बदलाव किया गया है. सरकार ने सोशल मीडिया, वेब न्यूज पोर्टल और ओटीटी प्लेटफॉर्म ( OTT platforms) को रेगुलेट करने के नए नियम (New IT Rules 2021) बनाए हैं.

नए नियमों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर और रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अब सोशल मीडिया की तीन स्तरीय निगरानी होगी. 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शिकायत निवारण तंत्र विकसित करना होगा और शिकायतों का निपटारा करने वाले ऑफिसर का नाम भी उजागकर करना होगा.

OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए गाइडलाइंस (New Guidelines for OTT Platforms)

- ओटीटी प्लेटफॉर्म पर कंटेंट को 6 कैटेगरी में बांट दिया गया है. 

- इसमें U (यूनिवर्सल), U/A, U/A 7+, U/A 13+, U/A 16+ और ए कैटेगरी होंगी. 

- 18 साल से ज्यादा उम्र के लोग ही एडल्ट कैटेगरी का कंटेंट देख सकेंगे. 

- 7+ कैटेगरी में हिंसा के सीन सिर्फ फैंटेसी या कॉमेडी के रूप में ही दिखाए जा सकते हैं. किसी तरह की नग्नता या शारीरिक शोषण से संबंधित दृश्य नहीं दिखाए जाएंगे. 

- 13+ कैटेगरी में हिंसा को ज्यादा रियलस्टिक तरीके से दिखाया जा सकता है लेकिन उसे ज्यादा लंबा या वीभत्स तरीके से नहीं दिखा सकते हैं. 

- 16+ कैटेगरी में हिंसक ग्राफिक्स और शारीरिक शोषण के सीन दिखाए जा सकते हैं लेकिन इन्हें ज्यादा लंबा ना खींचा जाए और वीभत्स तरीके से ना दिखाया जाए. 

- एडल्ट कैटेगरी में सख्त भाषा, नग्नता, हिंसक ग्राफिक्स का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि इसमें क्रिमिनल लॉ का उल्लंघन नहीं होना चाहिए. 

डिजिटल/सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइंस (New Guidelines for Social Media )

- सोशल मीडिया कंपनियां आपत्तिजनक कंटेंट को जल्द से जल्द अपने प्लेटफॉर्म से हटाएंगी. 

- आपत्तिजनक कंटेंट को हटाने में 36 घंटे से ज्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए. 

- Social Media कंपनियों को किसी मामले की जांच में 72 घंटे के भीतर जांच एजेंसियों को जानकारी मुहैया करानी होगी. 

- सोशल मीडिया कंपनियों को एक मुख्य शिकायत निवारण अधिकारी की तैनाती करनी होगी, जो कानूनी जांच एजेंसियों के साथ कॉर्डिनेट करेगा. 

- 3 महीने के भीतर ही कंपनियों को “grievance redressal officer” की नियुक्ति  भी करनी होगी. 

- महिला यूजर्स के गौरव की रक्षा करने के लिए, उनकी मोर्फ्ड इमेज या आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करता है तो शिकायत मिलने पर सोशल मीडिया 

- सोशल मीडिया कंपनियों को हर महीने कम्पलायंस रिपोर्ट जारी करनी होगी. 

- रिपोर्ट में बताया जाएगा कि कितनी शिकायतें आईं और उन पर क्या कदम उठाए गए. 

 

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