वैकल्पिक एनर्जी के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली सोलर एनर्जी (Solar energy) अब हमारी ऊर्जा जरूरत का एक अहम हिस्सा बनती जा रही है. सोलर एनर्जी की बढ़ती मांग को देखते हुए इस क्षेत्र में भी नए-नए प्रयोग हो रहे हैं. ऐसा ही एक नया प्रयोग है मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel). यह सोलर पैनल आम पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल के इसलिए अलग है कि इससे सूरज की कम रोशनी में भी बिजली तैयार की जा सकती है और इस पैनल की लाइफ सामान्य पैनल से कहीं ज्यादा होती है. 

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सोलर पैनल निर्माता कंपनी लूम सोलर (Loom Solar) मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल को लेकर भारत में लगातार नए प्रयोग कर रही है. लूम सोलर का दावा है कि मोनोक्रिस्टलाइन तकनीक से बादलों से ढके हुए आसमान से भी सूरज की रोशनी बेहतर तरीके से हासिल की जा सकती है.

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Monocrystalline Solar Panel)

मोनोक्रिस्टलाइन (Monocrystalline) सोलर पैनल की क्षमता पॉलीक्रिस्टलाइन सेल (Polycrystalline Cell) से काफी ज्यादा होती है. इन सेल की शुद्धता का स्तर मोनोक्रिस्टलाइन से बेहतर होता है. नतीजतन यह प्रति वर्ग फुट ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करता है.

पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर पैनल (Polycrystalline Solar Panel)

पॉलीक्रिस्टलाइन सेल सोलर पैनल (Solar Panel) सस्ता होता है, लेकिन खराब जल्दी होता है. पॉलीक्रिस्टलाइन सेल में सोलर पैनल तापमान का गुणांक 0.40 – 0.45 फीसदी होता है, जिसके कारण ऊर्जा गर्मी में नष्ट हो जाती है और उत्पादन कम हो जाता है. 

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मोनोक्रिस्टलाइन सोलर सेल्स सिलिकॉन (Silicon Solar) के सबसे शुद्ध रूप से बने होते हैं. यह सूरज की रोशनी को ऊर्जा में बदलने के लिए काफी सक्षम पदार्थ है, जबकि बेकार या अशुद्ध यौगिक का प्रयोग पॉलीक्रिस्टलाइन सोलर सेल बनाने में सामान्य रूप से किया जाता है.

मोनो पीईआरसी सेल्स पॉलीक्रिस्टलाइन सैल का प्रकार होते हैं, जिनका मौजूदा समय में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है. इन्हें रखने के लिए 18 फीसदी कम जगह की जरूरत होती है. इसमें कम केबल की जरूरत पड़ती है. जिससे समय और श्रम की भी बचत होती है.

मोनोक्रिस्टलाइन पैनल सूरज की ऊर्जा (Sun Light) से इससे बिजली बनाते हैं. जब सूरज की रोशनी सिलिकॉन के सेमी कंडक्टर से टकराती है तो रोशनी से पर्याप्त मात्रा में एनर्जी को ग्रहण किया जाता है. जिससे इलेक्ट्रॉन बिखर जाते हैं और उन्हें स्वतंत्र होकर बहने की इजाजत मिलती है.

मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सोलर सेल्स (Silicon Solar Cell) को इस तरह से डिजाइन किया जाता है, जिससे मुक्त इलेक्ट्रॉन्स को सेल की इलेक्ट्रिक फील्ड या सर्किट में एक तय दिशा दी जा सके. इससे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाया जा सकता है. वॉट में मापी गई सेल की पावर को करंट और सेल की वोल्टेज से तय किया जाती है. वोल्टेज सेल की आतंरिक इलेक्ट्रिक फील्ड पर निर्भर करता है.   

मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल से सोलर सेल बनाने के लिए सिलिकॉन की बार बनाई जाती है और उन्हें वेफर्स के रूप में काटा जाता है. इस तरह के पैनल को मोनोक्रिस्टलाइन कहते हैं. इसमें इस्तेमाल किया गया सिलिकॉन सिंगल क्रिस्टल सिलिकॉन है.

कम धूप में इसकी बेहतरीन परफॉर्मेस की वजह यह है कि सेल का रंग गहरा काला होता है इसलिए ज्यादा प्रकाश को अवशोषित करती है. इसके किनारे कटे हुए होते हैं. अगर तुलना की जाए तो जहां एक साधारण सोलर पैनल केवल दिन में 8 घंटे तक काम करता है, जबकि मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल दिन में 10 घंटे तक ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है. क्योंकि, इसके सूरज की कम रोशनी में काम करने की क्षमता बेहतरीन होती है. 

- इसमें पॉलीक्रिस्टलाइन सैल की तुलना में 15 से 20 प्रतिशत पर ज्यादा पावर होती है. 

- हाई कैपेसिटी के कारण यह कम जगह पर ज्यादा एनर्जी का उत्पादन करता है.

- यह छत पर कम जगह घेरता है और कम जगह में अधिक ऊर्जा का उत्पादन करता है.

- यह जर्मन टेक्नोलॉजी है. सोलरसेल्स की लाइफ काफी ज्यादा होती है. 

- कई निर्माता इस सेल पर 25 वर्ष तक की वॉरंटी देते हैं.

- यह सूरज की बेहद कम रोशनी में काफी अच्छी परफॉर्मेंस देता है.

- मोनोक्रिस्टलाइन सोलर पैनल की लागत 25 से 30 रुपये प्रति वॉट आती है.