मशहूर शायर जनाब अफ़ज़ल ख़ान का शेर है- 

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तू भी सादा है, कभी चाल बदलता ही नहीं 

हम भी सादा हैं, इसी चाल में आ जाते हैं 

SIM KYC Fraud: किसी को उल्लू बनाकर 77 लाख रुपए ठग लेने वाले को सादा तो नहीं कह सकते, लेकिन सच ये है कि ठगी करने वाले ने यहां भी वही पुरानी चाल चली. किसी को झांसा देकर वो सारी डीटेल निकलवा ली जिससे उसका खाता साफ करना आसान हो जाए. फर्क ये है कि यहां बहाना बना BSNL का सिम कार्ड, जिसे एक्टिवेट कराने के नाम पर उसने एक बड़े डॉक्टर को लपेटे में ले लिया. कटक में रहने वाले डॉक्टर सनातन मोहंती ने भी वही गलती की जिसका जालसाजों को इंतजार रहता है. एक अंजान शख्स को उन्होंने बैंक अकाउंट नंबर से लेकर CVV नंबर और OTP तक दे डाला. डॉक्टर मोहंती के साथ जो हुआ उसे डीटेल में समझ लीजिए क्योंकि कल को धोखाधड़ी का ये जाल आप पर या आपके किसी दोस्त-रिश्तेदार पर भी फेंका जा सकता है.  

एक SMS के साथ शुरू हुआ खाते में सेंध लगाने का खेल 

फरवरी 2021 के पहले हफ्ते में डॉक्टर मोहंती के मोबाइल पर एक अंजान नंबर से मैसेज आया. लिखा था- ‘आपका BSNL सिम डी-एक्टिवेट होने वाला है. अगर जल्द एक्टिवेट नहीं कराया तो आपका नंबर डेड हो जाएगा. एक्टिवेशन के लिए इस नंबर पर फोन करें.’ जाहिर है मैसेज के साथ एक फोन नंबर भी दिया गया था. डॉक्टर मोहंती ने उस नंबर पर फोन मिलाया. पहले उन्हें बांग्ला में मैसेज सुनाई पड़ा- ‘जिस नंबर से आप संपर्क करना चाहते हैं वो अभी व्यस्त है, कृपया थोड़ी देर बाद प्रयास करें’. थोड़ी देर बाद कोशिश करने पर नंबर मिल गया. डॉक्टर ने मैसेज के बारे में बताया. जवाब मिला- ‘हां, वो सही है. आपने अगर एक्टिवेट नहीं कराया तो आपका नंबर डेड हो जाएगा’. डॉक्टर मोहंती ने कहा- ‘ठीक है. मैं कल ही BSNL ऑफिस जाकर एक्टिवेट कराता हूं.’ जवाब मिला- ‘नहीं-नहीं, BSNL ऑफिस जाने की जरूरत नहीं है, अगर आपके मोबाइल में इंटरनेट चलता है तो फोन पर भी ऐक्टिवेट हो जाएगा. बदले में आपके डेबिट कार्ड से सिर्फ 10 रुपए कटेंगे.’ 

जालसाज के कहने पर डाउनलोड कर लिया TeamViewer Quick Support ऐप 

जैसा कि कोई भी सोचता, डॉक्टर मोहंती ने भी सोचा कि सिर्फ 10 रुपए खर्च करके BSNL ऑफिस के चक्कर लगाने से बच सकता हूं तो क्या बुरा है. उन्हें बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि वो एक खतरनाक जाल में फंसते जा रहे हैं. सामने वाले ने उन्हें Google Play Store पर जाकर Quick Support ऐप डाउनलोड करने को कहा. इस ऐप का नाम इतना अच्छा है कि किसी को भी शक नहीं होता. दरअसल इस ऐप में कोई बुराई है भी नहीं. इसके जरिए तो सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स किसी के मोबाइल फोन, डेस्कटॉप या लैपटॉप का Remote Access लेकर उनकी दिक्कतें सुलझाते हैं. लेकिन जालसाजों का मकसद इतना अच्छा कहां, वो तो आपका खाता साफ करने की फिराक में होते हैं. तो भई ये Quick Support ऐप डाउनलोड होता है और ओपन होने के साथ ही कुछ Add-ons डाउनलोड करने को कहता है. इसके बाद Your Id के तौर पर आपको 9 digit का एक नंबर या कोड दिखता है. ये नंबर दरअसल वो परमिशन है जो आपने किसी को दे दिया तो वो आपका फोन ऐक्सेस कर सकता है. यानी उसे आपके स्क्रीन पर होने वाली हर चीज़ दिखाई देने लगती है. एक फ्रॉड पर भरोसा करके डॉक्टर मोहंती यहां तक कर चुके थे.      

सिर्फ 10 रुपए का ट्रांजैक्शन और लाखों रुपए की चपत 

अब उस जालसाज ने डॉक्टर मोहंती से कहा- ‘अपने BSNL नंबर में सिर्फ 10 रुपए का रिचार्ज कराइये. इसके बाद एक्टिवेशन पूरा हो जाएगा.’ उसकी बात मानते हुए डॉक्टर मोहंती रिचार्ज कराने लगे. इसके लिए उन्हें अपने फोन के स्क्रीन पर अपना डेबिट कार्ड नंबर और CVV नंबर इस्तेमाल करना पड़ा जो उस ठग को TeamViewer Quick Support के जरिए अपने स्क्रीन पर दिख रहा था. उसने ये नंबर नोट कर लिए. बातों-बातों में उसने डॉक्टर मोहंती से SBI बीड़ानासी का वो बैंक अकाउंट नंबर भी निकलवा लिया जिससे उनका मोबाइल नंबर अटैच्ड/रजिस्टर्ड था. अब उसके पास ट्रांजैक्शन के लिए जरूरी हर डीटेल पहुंच चुकी थी. उसने करीब 25-25 हजार रुपए करके धड़ाधड़ पैसे निकालने शुरू किए. स्क्रीन ऐक्सेस होने की वजह से डॉक्टर मोहंती के फोन पर आनेवाले ओटीपी भी उसे दिख रहे थे. इस तरह डॉक्टर मोहंती का अकाउंट तेजी से साफ होने लगा. इसके बाद उनके पास एटीएम कार्ड ब्लॉक होने का भी मैसेज आ गया.       

तमाम भाग-दौड़ की लेकिन पैसे कटते ही चले गए 

घबराए हुए डॉक्टर सनातन मोहंती ने SBI के बीड़ानासी ब्रांच से संपर्क किया. बैंक को सारी कहानी सुनाई. बैंक ने कहा- ‘अब आगे ऐसा कुछ नहीं होगा. आप ये फॉर्म भर दीजिए, 7-8 दिन में दूसरा एटीएम कार्ड इशू हो जाएगा.’ लेकिन हैरानी की बात ये है कि डॉक्टर मोहंती के अकाउंट से पैसे लगातार कटते रहे. कुछ रोज बाद जब वो तुलसीपुर ब्रांच गए पहुंचे तो पता चला कि 9 फरवरी को जब उनकी उस साइबर ठग से बात हुई थी तबसे लेकर 13 फरवरी के बीच भी उनके खाते से कई फ्रॉड ट्रांजैक्शन हुए हैं. तमाम कोशिश के बाद भी ये ट्रांजैक्शन 15 फरवरी तक जारी रहे. उनके बैंक डीटेल्स का इस्तेमाल करते हुए जालसाज ने कुल मिलाकर 77 लाख 86 हजार रुपए निकाल लिए. अब डॉक्टर मोहंती साइबर थाने में शिकायत करने के बाद अपने पैसे वापस मिलने का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सच पूछिए तो पैसे रिकवर हो पाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है.    

सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या किया... 

जनाब ज़ेब गौरी साहब फ़रमाते हैं-  

ज़ख़्म लगाकर उसका भी कुछ हाथ खुला 

मैं भी धोखा खाकर कुछ चालाक हुआ 

लेकिन समझदारी तो इसमें है कि धोखा कोई और खाए और सबक हम और आप ले लें. ये किस्सा सुनाने का मकसद भी यही है. देखिए, हमारा नाम, पता और मोबाइल नंबर लीक होने के तो हजार जरिए हैं, सोशल मीडिया, ऑनलाइन शॉपिंग, कहीं दी गई आधार या गाड़ी के RC की फोटो कॉपी वगैरह-वगैरह. लेकिन आपके खाते तक कोई तब तक नहीं पहुंच सकता जब तक आप खुद अपना बैंक अकाउंट नंबर, डेबिट या क्रेडिट कार्ड नंबर, CVV नंबर और OTP जैसी डीटेल शेयर नहीं करते. तो ये डीटेल किसी भी हालत में शेयर नहीं करनी है. कोई भी बैंक या टेलीकॉम कंपनी आपसे ये सब पूछती भी नहीं. अगर कोई पूछता है तो समझिए जरूर कुछ गड़बड़ है. दूसरी जरूरी बात- किसी अंजान के कहने पर TeamViewer Quick Support ऐप हरगिज डाउनलोड न करें. क्योंकि ऐसा करना खुद किसी हैकर की मदद करने जैसा है.

(लेखक ज़ी बिज़नेस हिन्दी डिजिटल के ए़डिटर हैं)

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