धान की कटाई के बाद पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण एक बड़ी समस्या बन कर सामने आ रहा है. सरकार की तमाम कोशिश के बाद भी पराली जलाने की घटानाओं में कमी नहीं आ रही है. लेकिन अब पराली की समस्या का समाधान खोज लिया गया है.  धान की कटाई के बाद बचे डंढल और पत्तियों आदि से बायोगैस बनाने वाला देश का पहला संयंत्र हरियाणा के करनाल जिले में लगाया जा रहा है. इस बायोगैस का इस्तेमाल सीएनजी वाहनों में किया जा सकता है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस प्लांट में विशेष मशीन लगाई जाएंगी, जो धान की पराली को काटकर उसका गट्ठर बनाएंगी, ताकि पराली का पूरे साल भर के लिए स्टोर किया जा सके. और इससे प्लांट चलता रहे. 

इस प्लांट की क्षमता साल में 20 हजार एकड़ धान के खतों की पराली को बायोगैस में बदलने की होगी. प्लांट से तैयार होने वाली बायोगैस का वितरण करनाल में किया जाएगा.

 

देखें Zee Business LIVE TV

इस प्लांट से हर दिन अधिकतम 10 हजार किलोग्राम बायोगैस का उत्पादन होगा. मुख्य कच्चा माल के तौर पर धान की पराली का इस्तेमाल होगा. इसकी क्षमता हर साल 40 हजार टन पराली की खपत करने की होगी. इसमें तैयार बायोगैस का इस्तेमाल ट्रैक्टर व अन्य भारी मशीनों तथा जेनरेटरों में किया जाएगा.