देश में भले ही कोरोनावायरस संक्रमण के केस बढ़ रहे हैं, लेकिन रिकवरी रेट में भी लगातार सुधार हो रहा है. अब देश में अनलॉक 1.0 में सोशल डिस्टेंगिंस, घर पर रहने, साफ-सफाई रखना और Respiratory hygiene का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वहीं, COVID-19 के मामलों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी की जा रही है. इस तकनीक को कोरोना वायरस रोकने के लिए शुरू किया गया है.

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COVID-19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने आरोग्य सेतु ऐप (Arogya Setu App) को लॉन्च किया है. हर देशवासी के लिए इसे डाउनलोड करना जरूरी है. ऐप से COVID-19 के लक्षण, उनके स्थान और संपर्क ट्रेसिंग की पहचान हो सकती है. सभी विशेष ट्रेनों में सफर करने वाले यात्रियों को भी आरोग्य सेतु ऐप डाउनलोड करना जरूरी है. फ्लािट्स में भी ऐप अनिवार्य कर दिया गया है. दरअसल, अगर पूरा देश इसे डाउनलोड कर लेगा तो इससे बेहतर कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की जा सकेगी. इससे कोरोना वायरस को रोकने में मदद मिलेगी.

कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग 

WHO के अनुसार, जो लोग वायरस से संक्रमित किसी व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, जैसे कि इबोला वायरस, या कोरोना वायरस, खुद संक्रमित होने के साथ और लोगों के लिए खतरा बन सकते हैं. इस ऐप की मदद से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद इन संपर्कों को देखने से लोगों को Treatment और देखभाल करने में मदद मिलेगी, और दूसरों को वायरस के संक्रमण को कम करने में मदद मिलेगी. इस प्रक्रिया को कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के रूप में जाना जाता है.

एक बार जब किसी इंसान का कोरोना टेस्ट पोसिटीव आता है. तो संपर्क की पहचान की जाती है.  ये व्यक्ति की दिनचर्या, बीमारी की शुरुआत के बाद से उसके आसपास के लोगों की जगह आदि पर आधारित होते हैं. संपर्क कोई भी हो सकता है. जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आया हो - परिवार, दोस्तों, काम के सहयोगियों, स्वास्थ्य सेवा आदि.

अगला चरण उन सभी लोगों को लिस्ट बनाई जाती है जो संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए हैं. इन सभी लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें सावधानी बरतने के बारे में सूचित करना चाहिए. यदि वे लक्षण विकसित करते हैं, तो उन्हें जल्दी देखभाल होनी चाहिए. करोनोवायरस के मामले में, इस तरह के संपर्कों को आईसोलेशन या अलग करने की भी सिफारिश की जाती है.

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तीसरा चरण में सबसे ज्यादा जरूरी है लोगों को ट्रेस करते रहना साथ ही संक्रमित जगहों पर टेस्ट करना. जिससे की सही समय पर संक्रमित लोगों का पता चल सके साथ ही उन्हें Treatment मिल सकें.