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Pin Code Number: आखिर 6 अंकों का ही क्यों होता है पिन कोड? जानिए इन नंबर्स का क्या मतलब है

क्षेत्रों के लिहाज से देखें तो पिन कोड में पहला नंबर अगर 1 या 2 है तो वह नॉर्थ इंडिया को दर्शाता है, 3-4 नंबर वेस्ट, 5-6 नंबर साउथ और 7-8 ईस्ट का संकेत देता है.
Updated on: November 13, 2022, 05.05 PM IST
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Pin Code Number: आखिर 6 अंकों का ही क्यों होता है पिन कोड? जानिए इन नंबर्स का क्या मतलब है

भारत में 6 अंकों के पिन कोड की शुरुआत 15 अगस्त, 1972 को हुई. कोड में 9 क्षेत्रों को अलग-अलग यूनिक पिन अलॉट किया गया, जिसमें 1 से 8 तक के अंकों को भौगोलिक क्षेत्रों में बांटा गया हैं. जबकि 9 अंक को आर्मी पोस्टल सर्विस के लिए रिजर्व रखा गया है.  

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क्षेत्रों के लिहाज से देखें तो पिन कोड में पहला नंबर अगर 1 या 2 है तो वह नॉर्थ इंडिया को दर्शाता है, 3-4 नंबर वेस्ट, 5-6 नंबर साउथ और 7-8 ईस्ट का संकेत देता है. 

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शुरुआती दो डिजिट की बात करें तो ये राज्यों को दर्शाते हैं. जैसे पिन कोड की शुरुआत 11 से होती है तो वह दिल्ली का है, जबकि 56 है तो वह कर्नाटक का पता बता रहा है.

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पिन कोड के शुरुआती तीन नंबर जिले के अंदर के क्षेत्रों को दर्शाते हैं. वहीं पिन कोड के आखिरी तीन अंक पोस्ट ऑफिस की जानकारी देते हैं. जैसे 222161 में 161 जौनपुर जिले के मड़ियाहूं पोस्ट ऑफिस को दर्शा रहा है.

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देश में पिन कोड लागू करने में श्रेय श्रीराम भीकाजी का बड़ा योगदान रहा. बता दें कि भारतीय पिन कोड नंबर के आधार पर देश में डाक का डिस्ट्रिब्युशन करता है. इसे जिप कोड भी कहा जाता है.