Share Market News: साल 2022 में अबतक बीएसई स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स का प्रदर्शन सेंसेक्स (Sensex) के मुकाबले कमजोर रहा है. इस साल अभी तक छोटी कंपनियों के निवेशकों को चार प्रतिशत का नुकसान हुआ है. यानी बीएसई स्मॉलकैप (BSE Smallcap) और मिडकैप (BSE Midcap) में चार प्रतिशत की गिरावट आई है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, विशेषज्ञों ने आने वाले समय में भी फेडरल रिजर्व की दरें बढ़ाने और बढ़ती मुद्रास्फीति से बाजार में ज्यादा उठापटक की आशंका जताई है. विश्लेषकों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों को हाल के दिनों में भू-राजनीतिक तनाव, मुद्रास्फीति की चिंताओं और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है.

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इन वजहों से आई गिरावट

खबर के मुताबिक, ट्रेडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि बाजार जब सर्वकालिक उच्चस्तर पर हों तो उनमें गिरावट के लिए सिर्फ एक चीज की ही जरूरत होती है. और इस साल तो यूक्रेन युद्ध, एफआईआई की रिकॉर्ड बिकवाली, वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ की रफ्तार सुस्त पड़ने और मुद्रास्फीतिकारी बाधाओं की भरमार रही है. उन्होंने कहा कि स्मॉलकैप और मिडकैप सूचकांकों में ऐसे शेयर शामिल हैं जिनमें हाई ग्रोथ, हाई रिटर्न और भारी उठापटक देखी गई है. उन्होंने कहा कि बड़े सूचकांक की तुलना में इनके नुकसान और फायदे दोनों ही बढ़ाकर पेश किए जाते हैं. इस तरह बाजार में गिरावट होने पर स्मॉलकैप और मिडकैप का प्रदर्शन लार्जकैप सूचकांक की तुलना में हल्का होता है.

अब तक 3.72 प्रतिशत तक गिर चुका है बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक

बीएसई स्मॉलकैप सूचकांक इस साल अब तक 1,095.98 अंक यानी 3.72 प्रतिशत तक गिर चुका है जबकि मिडकैप सूचकांक में 666.1 अंक यानी 2.66 प्रतिशत का नुकसान देखा गया है. इसकी तुलना में सेंसेक्स इस साल 2 मई तक 1,277.83 अंक यानी 2.19 प्रतिशत गिरा है. हालांकि, व्यापक बाजार (Share Market News) का प्रदर्शन कुछ ज्यादा बुरा नहीं रहा है. न्याति ने कहा, यह स्थिति हमारे घरेलू फ्लो की ताकत को दर्शाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, रूस-यूक्रेन युद्ध जारी रहने के बीच आने वाले समय में फेडरल रिजर्व की दरों में वृद्धि होना और मुद्रास्फीति बढ़ना अस्थिरता के अहम कारक हो सकते हैं. इसके अलावा कंपनियों की आय और मानसून भी घरेलू अर्थव्यवस्था की दिशा तय कर सकते हैं.

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2021 के कैलेंडर साल में छोटे शेयरों ने 63% तक रिटर्न दिया

स्वस्तिका इंवेस्टमार्ट के प्रबंध निदेशक सुनील न्यति का मानना है कि मिडकैप (BSE Midcap) और स्मॉलकैप (BSE Smallcap) सूचकांकों का प्रदर्शन खास कमजोर नहीं रहा है. हालांकि, व्यापक बाजार (Share Market News) में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो काफी अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं, खासकर जिंस से संबंधित शेयर. बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, छोटे शेयरों को आमतौर पर घरेलू निवेशक खरीदते हैं जबकि विदेशी निवेशक ब्लूचिप या बड़ी कंपनियों के शेयरों का लेनदेन करते हैं. न्यति कहते हैं कि पिछले पांच महीनों में तमाम घरेलू और बाहरी कारकों से कई तरह की चुनौतियां रही हैं लेकिन घरेलू पूंजी की आवक बनी रहने और बेहतर आर्थिक परिदृश्य होने से हम अधिकांश चुनौतियों का सामना करने में सफल रहे. वर्ष 2021 के कैलेंडर साल में छोटे शेयरों ने 63 प्रतिशत तक रिटर्न दिया था. वहीं मझोली कंपनियों के शेयर 39 प्रतिशत चढ़े थे. इनकी तुलना में बड़ी कंपनियों के प्रदर्शन को आंकने वाला सेंसेक्स 22 प्रतिशत बढ़ा था.