आज के वक्त में भारत का शेयर बाजार बहुत ही अहम हो चुका है, जो दुनिया के टॉप-5 शेयर बाजारों में से एक है. जब बात एशिया की आती है तो इसे सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) कहा जाता है. आज भले ही शेयर बाजार का सारा काम-काज बड़ी-बड़ी इमारतों में ढेर सारे कंप्यूटर्स के जरिए होता है, लेकिन इसकी शुरुआत एक बरगद के पेड़ के नीचे से हुई थी. 1850 के दशक में कुछ लोगों ने मिलकर भारत में स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत की थी. शेयर बाजार (Share Market) के बारे में ऐसी ही तमाम बातें आपको बताने के लिए जी बिजनेस शुरू कर रहा है शेयर मार्केट नॉलेज (Share Market Knowledge). आइए आज इसकी पहली स्टोरी में जानते हैं कैसे पेड़ के नीचे शुरू हुआ शेयर बाजार धीरे-धीरे बड़ी-बड़ी इमारतों तक पहुंच गया.

बरगद के पेड़ के नीचे हुई थी स्टॉक एक्सचेंज की शुरुआत

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1850 के दशक के दौरान एक बरगद के पेड़ के नीचे कपास के कारोबार से जुड़े सौदे होते थे. यह मुंबई के टॉउनहॉल के सामने था, जो आज हॉर्निमैन सर्कल के नाम से जाना जाता है. आशीष कुमार चौहान और अर्चना जैन की किताब 'द टेंपल ऑफ वेल्थ क्रिएशन' के अनुसार Chapparia बनिया कम्युनिटी के 6 स्टॉक ब्रोकर्स ने बरगद के पेड़ के नीचे जमा होना शुरू किया. इसकी शुरुआत करने का श्रेय कपास के व्यापारी प्रेमचंद रायचंद जैन को भी दिया जाता है, जो 1850 के दौरान ट्रेडिंग में घुसे थे. 

धीरे-धीरे वहां पर बहुत सारे ब्रोकर यानी दलाल जमा होने लगे और सौदे होने लगे. 1875 तक ब्रोकर्स की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई कि इस खरीद-फरोख्त के काम के लिए एक ऑफिस तक ले लिया गया. इन ब्रोकर्स में पारसी, मारवाड़ी, मराठी, मुस्लिम, जैन, गुजराती, बनिया, ब्राह्मण सभी शामिल थे. साल 1895 में स्टॉक एक्सचेंज ने दलाल स्ट्रीट पर ही जमीन खरीद ली और वहां पर 1899 में स्टॉक एक्सचेंज का उद्घाटन हुआ. बता दें कि उन शुरुआती दिनों में शेयर बाजार में ट्रेडिंग दोपहर बाद 1 बजे से शुरू हुआ करती थी.

1-1 रुपये एंट्री फीस से बना एसोसिएशन

बताया जाता है कि इस ऑफिस तक आने से पहले ब्रोकर्स ने कई जगहों पर काम किया, लेकिन आखिरकार यहीं उनकी तलाश खत्म हुई. उस वक्त ब्रोकर्स के ग्रुप ने मिलकर एक आधिकारिक ऑर्गेनाइजेशन The Native Share & Stock Brokers Association बनाया, यही आज का बीएसई है. इस एसोसिएशन को बनाने के लिए 318 लोगों ने एक-एक रुपये की फीच दी थी. जब ये एसोसिएशन बन गया तो उसमें बहुत सारे ब्रोकर्स ने शामिल होना शुरू कर दिया. उस दौरान इस एसोसिएशन में शामिल होने के लिए ब्रोकर्स से 1 रुपये की एंट्री फीस ली जाती थी. 1896 तक इस एसोसिएशन में 333 मेंबर हो गए और मेंबरशिप फीस बढ़ते-बढ़ते 1000 रुपये हो गयी. 1916 तक एसोसिएशन में 362 मेंबर हो चुके थे और फीस बढ़कर 2500 रुपये तक पहुंच गई. साल 1920 में मेंबर्स की संख्या 478 हो गई और फीस 48 हजार रुपये हो गई.

कई स्टॉक एक्सचेंज खुले

इसके बाद कई स्टॉक एक्सचेंज खुले. 1894 में अहमदाबाद स्टॉक एक्सचेंज खुला, जहां पर टेक्सटाइल मिलों के शेयर ट्रेड होते थे. वहीं प्लांटेशन और जूट मिल कंपनियों के शेयरों की ट्रेडिंग के लिए 1908 में कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज शुरू हुआ. 1920 में मद्रास स्टॉक एक्सचेंज की भी शुरुआत हुई. 1930 में मध्य प्रदेश (इंदौर) स्टॉक एक्सचेंज शुरू हुआ. वहीं 1943 में हैदराबाद और 1947 में दिल्ली स्टॉक एक्सचेंज शुरू हुए.

1986 में हुई सेंसेक्स की शुरुआत

साल 1986 में सेंसेक्स यानी सेंसिटिव इंडेक्स की शुरुआत की गई, जिसके तहत 30 कंपनियां आती हैं. उस दौरान इसका बेस प्वाइंट 100 रखा गया. साल 1988 में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी की शुरुआत हुई. उस वक्त यह एक नॉन-स्टेचुअरी बॉडी थी, जिसके पास बहुत ज्यादा अधिकार नहीं थे. वहीं 30 जनवरी 1992 को सेबी एक्ट जारी करते हुए सेबी को स्टेचुअरी बॉडी बनाया गया और सारे अधिकार दिए गए.

फिर हुई एनएसई की शुरुआत

साल 1994 में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज यानी एनएसई यानी निफ्टी की शुरुआत हुई, जिसके तहत 50 कंपनियां आती हैं. इसकी शुरुआत इसलिए हुई थी ताकि बीएसई की पारदर्शिता बनी रहे और उसे टक्कर देने वाला कोई दूसरा एक्सचेंज भी हो. एनएसई ने होलसेल डेट मार्केट और इक्विटी मार्केट में तो 1994 से ही ऑपरेशन शुरू कर दिए थे, लेकिन डेरिवेटिव्स मार्केट में एनएसई पर ऑपरेशन साल 2000 में शुरू हुए..

सेंसेक्स का सफर

1986 में सेंसेक्स की शुरुआत 100 अंकों से हुई थी, जो 1990 तक 1000 अंक के स्तर पर पहुंच गया. उसके बाद 6 फरवरी 2006 तक यानी 16 साल में सेंसेक्स ने 10,000 अंकों का स्तर छू लिया. इसके बाद सेंसेक्स अगले 16 सालों में 24 सितंबर 2021 तक 60,000 अंकों का लेवल छू लिया. 20 जुलाई 2023 को सेंसेक्स ने आज तक का सबसे उच्चतम स्तर 67,619 का लेवल छू लिया.

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