बाजार नियामक SEBI ने फाइनेंशियल मार्केट में जारी भारी उथल-पुथल पर लगाम लगाने के लिए नए उपाय पेश किए हैं. इन उपायों में कमोडिटी (Commodity) में शेयर सौदों की खुली उपलब्ध सीमा में बदलाव भी शामिल है. इसके अलावा कीमतों में मांग के हिसाब से उतार-चढ़ाव की व्यवस्था को लचीला बनाने के भी उपाय किए गए हैं. 

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सेबी ने एक बयान में कहा कि ये उपाय 23 मार्च से लागू होंगे और एक महीने तक अमल में रहेंगे. इन कदमों से बाजार में शॉर्ट सेलिंग पर लगाम लगेगी और व्यक्तिगत शेयरों में उतार-चढ़ाव भी कम होगा. जब निवेशक लाभ कमाने के लिये किसी शेयर को पहले ऊंचे भाव पर बेचकर और फिर गिरे भाव पर उसकी खरीदारी करते हैं, तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है. 

सेबी ने ये उपाय ऐसे समय किये हैं जब कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी से आर्थिक नुकसान की आशंका में बाजार भारी उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे हैं. महामारी इस समय आर्थिक गतिविधियों को भी प्रभावित कर रही है.

सैमको सिक्योरिटीज के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिमीत मोदी ने कहा कि बाजार आधारित सीमा घटायी गयी है, जिसका अर्थ है कि अब अधिक शेयर वायदा और विकल्प कारोबार की रोक अवधि के दायरे में होंगे. 

उन्होंने कहा कि इसके अलावा शॉर्ट सेलिंग के लिये 500 करोड़ रुपये की सीमा है जिसे हटा दिया गया है. अब यदि कोई 500 करोड़ रुपये की सीमा को पार करना चाहता है तो उसका दो गुना मार्जिन तीन महीने के लिये बंध जायेगा. व्यावहारिक तौर पर यह शेयर बाजार में कुछ साल पहले निगरानी के लिये किये गये अतिरिक्त उपायों की तरह है.

सेबी ने बाजार में भारी उथल-पुथल की जारी असामान्य स्थिति का संज्ञान लेते हुए कहा कि उसने मौजूदा परिस्थिति में उठाये जाने वाले कदमों को लेकर शेयर बाजारों, क्लियरिंग कॉरपोरेशन तथा डिपॉजिटरीज के साथ चर्चा की है.

सेबी ने बताया कि इन उपायों में डेरिवेटिव खंड में खुले शेयरों सौदों की उपलब्ध सीमा को बढ़ाकर 50 प्रतिशत तक करना भी शामिल है. अभी डेरिवेटिव खंड में यह सीमा कुल बाजार पूंजीकरण के 20 प्रतिशत मूल्य के बराबर है. इसके अलावा विशिष्ट पात्रता पर खरे उतरने वाले शेयरों के लिये मार्जिन को बढ़ाया जाएगा. 

सेबी ने कहा कि सेबी और शेयर बाजार परिस्थितियों पर लगातार नजर बनाये रखेंगे तथा स्थिति की समीक्षा करेंगे. यदि जरूरत होगी तो आगे अन्य कदम भी उठाये जायेंगे. उल्लेखनीय है कि बाजार में अभी कोरोना वायरस के संक्रमण के आर्थिक प्रभावों की आशंका को लेकर उथल-पुथल का दौर चल रहा है.