भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने सोमवार को कहा कि वह निवेशकों की वायदा एवं विकल्प क्षेत्र (F&O) में रुचि देखकर हैरान और कंफ्यूज़्ड हैं. यह स्थिति तब है जब इसमें निवेश करने वाले 90 प्रतिशत लोगों को नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि निवेशकों को लंबी अवधि पर ध्यान देने की जरूरत है. इस रणनीति से इंफ्लेशन से ऊपर रिटर्न की काफी संभावना है.

सेबी प्रमुख ने रिसर्च का दिया हवाला

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सेबी प्रमुख ने एशिया के सबसे पुराने शेयर बाजार बीएसई में निवेशक जोखिम बचाव पहुंच (IRRA) मंच शुरू किये जाने के दौरान पूंजी बाजार नियामक के एक हालिया रिसर्च का जिक्र किया. इसके अनुसार एफएंडओ में 45.24 लाख व्यक्तिगत कारोबारियों में से केवल 11 प्रतिशत ने लाभ कमाया है. शोध के अनुसार, महामारी के दौरान एफएंडओ खंड में निवेशकों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. व्यक्तिगत कारोबारियों की कुल संख्या वित्त वर्ष 2018-19 के 7.1 लाख के मुकाबले 500 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई है.

बुच ने कहा, ‘‘ मैं इस बात को लेकर हमेशा थोड़ी भ्रमित और आश्चर्यचकित रहती हूं कि लोग एफएंडओ में जोखिम के बारे में जानते हैं, उन्हें यह भी पता है कि यह उनके पक्ष में नहीं है. उसके बाद भी उसमें निवेश कर रहे हैं. यह समझ से परे है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘निवेशकों के वायदा एवं विकल्प खंड में पैसा खोने की 90 प्रतिशत आशंका है. लेकिन हम यह भी जानते हैं और उपलब्ध आंकड़ों से हमें पता चलता है कि यदि आप बाजार में लॉन्ग टर्म नजरिया अपनाते हैं और आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, आप शायद ही कभी गलत होंगे.’’

लॉन्ग टर्म निवेश पर दिया टिप

सेबी प्रमुख ने कहा, ‘‘इस बात की काफी संभावना है कि अगर एक निवेशक लंबे समय तक बाजार में टिकता है तो उसकी संपत्ति यानी रिटर्न अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की दर से अधिक होगा.’’ उन्होंने सभी से निवेश के लिए दीर्घकालिक नजरिया अपनाने का ‘आग्रह’ किया. उन्होंने कहा कि एफएंडओ सेगमेंट में हर दिन पैसा खोने से अच्छा लंबी अवधि का निवेश है, जिसमें अच्छे रिटर्न की बेहतर संभावना है.

F&O में कितना नुकसान?

सेबी के शोध पत्र के अनुसार, वित्त वर्ष 2011-12 में एफएंडओ सेगमेंट में 89 प्रतिशत लोगों ने पैसा गंवाया. उनका औसत नुकसान 1.1 लाख रुपये था. वहीं कुछ लोग इसमें भाग्यशाली थे. उनका औसत लाभ 1.5 लाख रुपये था. एफएंडओ खंड में एक-तिहाई से अधिक निवेशक 20-30 वर्ष की उम्र के हैं जबकि वित्त वर्ष 2018-19 में यह केवल 11 प्रतिशत था. 

सेबी प्रमुख ने यह भी कहा कि ब्रोकिंग उद्योग और शेयर बाजार परिचालन के स्तर चीजों को सुगम बनाने और मानक तय करने को लेकर 50 चीजों पर ध्यान देने को संभवत: सहमत हो गये हैं. सेबी प्रमुख ने साथ मिलकर काम करने के लिये संबंधित पक्षों की सराहना भी की.