मार्केट रेग्‍युलेटर सिक्‍युरिटीज एंड एक्‍सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (Sebi) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के लिए एक्‍सचेंज ट्रेडेड कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट खोलने की तैयारी में है. सेबी की ओर से गठित कमिटी कमोडिटी डेरिवेटिव एडवाइरी कमिटी (CDAC) अगले हफ्ते इस मसले पर चर्चा कर सकती है. 

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इस मामले से जुड़े एक सोर्स ने जी बिजनेस को बताया, ''सेबी कमोडिटी मार्केट में FPI को नए प्‍लेयर के रूप में लाने की तैयारी कर रहा है. अगर CDAC इसे मंजूरी देता है तो रेग्‍युलेटर इस मुद्दे पर मार्केट पर भी विचार कर सकता है.''

एक अन्‍य सोर्स ने जी बिजनेस को बताया, ''सेबी की तैयारी शुरू में नॉन-एग्री सगमेंट के साथ FPI की मंजूरी देने की है. इसके बाद एग्री सेगमेंट में मंजूरी दी जाएगी.''  एक्‍सपर्ट मेम्‍बर्स की कमिटी CDAC की 15 नवंबर को बैठक कर सकती है. 

EFE को मिल चुकी है मंजूरी 

इससे पहले, सेबी कमोडिटी मार्केट में इलिजिबल फॉरेन एंटीटीज (EFE) को मंजूरी दे चुका है. EFE एंटीटी भारत से एक्‍सपोर्ट और इम्‍पोर्ट में डील करती हैं और वे घरेलू कमोडिटी मार्केट में अपनी पोजिशन हेज कर सकती हैं. हालांकि, बीते तीन साल में इस कैटेरगी में केवल एक कंपनी रजिस्‍टर्ड हुई है. एक अन्‍य सोर्स ने जी बिजनेस को बताया, ''इस मीटिंग में कमिटी EFE सेगमेंट को भंग करने या FPI कैटेगरी के साथ मर्ज करने पर चर्चा कर सकती है.'' 

इसके दूसरे फेज में सेबी बैंकों, इंश्‍योरेंस, पेंशन फंड्स और FPI को कमोडिटी मार्केट में एंट्री की मंजूरी देने पर विचार कर सकता है. फिलहाल, अल्‍टरनेटिव इन्‍वेस्‍टमेंट फंड कैटेगरी- 3, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज एंड म्‍यूचुअल फंड्स को कमोडिटी मार्केट में निवेश करने की मंजूरी है. 

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नियमों में छूट की जरूरत 

CDAC के मेम्‍बर और कमोडिटी पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशंस आफ इंडिया  (CPAI) के प्रेसिडेंट नरेंद्र वाधवा ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की. उन्‍होंने जी बिजनेस को बताया, ''कमोडिटीज मार्केट के ग्रोथ और विस्‍तार के लिए 3ps जरूरी है. ये 3ps प्रोडक्‍ट्स, पॉलिसीज एंड पॉर्टिसिपेंट्स हैं. अब सेबी के व्यावहारिक फैसले से हमारे पास ये सभी P's उपलब्‍ध हैं. सेबी ने पिछले 3 साल के दौरान पहले फेज में इंस्‍टीट्यूशनल निवेशकों जैसे AIF, MF और PMS को कमोडिटी में पार्टिसिपेट करने की मंजूरी दी. अब दूसरे चरण में FPI अहम भागीदार हैं जिन्हें बिना किसी रोकटोक के कमोडिटीज में ट्रेड की अनुमति दी जा सकती है. फिलहाल, FPI को EFE मैकेनिज्‍म के जरिए कमोडिटी में ट्रेड की मंजूरी मिली हुई है. इसके लिए नियमों में और छूट की आवश्यकता है.'' 

फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के पार्टनर अनिल चौधरी ने जी बिजनेस को बताया, ''FPIs के लिए कमोडिटी डेरिवेटिव मार्केट को खोलने से मार्केट के डेवलपमेंट और विस्‍तार के लिए जरूरी कदम होगा. बाजार भी बेसब्री से गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज के बारे में नियमों की प्रतीक्षा कर रहा है. खासकर सेबी की ओर से डिजिटल गोल्ड के कारोबार में शामिल ब्रोकर्स, IAs और डिबेंचर ट्रस्टियों पर रोक के बाद इस पर एक स्‍पष्‍ट नियमों का इंतजार है.''