Rupees all time low: डॉलर के मुकाबले रुपये ने आज (22 सितंबर 2022) भारी गिरावट के साथ नया रिकॉर्ड लो लेवल बनाया. शुरुआती ट्रेड में ही रुपया 51 पैसे की बड़ी‍ गिरावट लेकर 80.47 के ऑल टाइम लो पर आ गया. यूएस फेड की ओर से महंगाई को काबू करने के लिए ब्‍याज दरों में लगातार तीसरी बार की गई बढ़ोतरी के बाद डॉलर इंडेक्‍स में मजबूती देखी गई. इसका दबाव भारतीय रुपये पर पड़ा, जिसके चलते घरेलू करेंसी में बड़ी गिरावट देखने को मिली. गुरुवार के सेशन में रुपये में कारोबार 80.27 पर शुरू हुआ और और शुरुआती डील्‍स में ही 80.47 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो पर चला गया. 

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इससे पहले, बुधवार यानी 21 सितंबर को यूएस डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 79.96 के स्‍तर पर बंद हुआ था. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 79.79 के स्‍तर पर खुला था और दिन के कारोबार के दौरान इसमें लगातार गिरावट देखी गई. रुपया पहली बार 20 जुलाई को डॉलर के मुकाबले फिसलकर 80 के पार 80.05 के स्तर पर बंद हुआ था.

डॉलर इंडेक्‍स 111 के ऊपर

IIFL सिक्‍युरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट अनुज गुप्ता का कहना है कि ब्‍याज दरों पर फेड के फैसले के बाद डॉलर इंडेक्‍स 111 के स्‍तर के ऊपर ट्रेड कर रहा है. डॉलर इंडेक्‍स में आई मजबूती के चलते भारतीय रुपया और अन्‍य दूसरी एशियाई करेंसीज में कमजोरी देखी गई और वे निचले स्‍तर पर ट्रेड कर रही हैं. डॉलर के मुकाबले यूरो भी 20 साल के निचल स्‍तर 0.9822 और डॉलर के मुकाबले पाउंड 29 साल के निचले स्‍तर 1.1234 पर ट्रेड कर रहा है.

कहां तक जा सकता है रुपया 

अनुज गुप्ता का कहना है कि फेडरल रिजर्व के सख्‍त बयान के बाद डॉलर के मुकाबले सभी बड़ी करेंसी में गिरावट देखने को मिल सकती है. रुपये में गिरावट देखने को मिलेगी. भारतीय रुपया जल्‍द ही 81 से 82 का लेवल दिखा सकता है.

क्‍या RBI देगा दखल?

स्‍वास्तिका इन्‍वेस्‍टमार्ट लिमिटेड के रिसर्च हेड संतोष मीणा का कहना है, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के हाल के एक्‍शन और कमेंट से यह साफ है कि अभी भी ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी का दौर जारी रहेगा. हमारा मानना है कि घरेलू आर्थिक हालातों में सुधार के बावजूद रुपये पर दबाव बना रह सकता है. इसके अलावा, आरबीआई के लिए रुपये की गिरावट को रोकने के लिए दखल देना और सख्त एक्‍शन लेना मुश्किल होगा क्योंकि बैंकिंग सिस्‍टम में लिक्विडिटी करीब 40 महीनों के लिए सरप्‍लस मोड में रहने के बाद डेफिसिट में आ गई है. मौजूदा हालात में रिजर्व बैंक आर्थिक सुधार को पटरी से नहीं उतारना चाहता है. 

मीणा का कहना है, टेक्निकली तौर पर डॉलर-रुपये में बढ़ते ट्राएंग फॉर्मेशन के बाद एक ब्रेकआउट देखा गया. जिसके चलते रुपया 81.5-82 जोन की ओर और कमजोरी हो सकता है. हालांकि, 81 का लेवल रुपये के लिए एक इंटरमीडिएट और अहम सपोर्ट लेवल होगा. 

फेड ने लगातार तीसरी बार बढ़ाया ब्‍याज

महंगाई पर काबू पाने की अपनी कोशिशों में अमेरिकी सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने बुधवार को लगातार तीसरी बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की है. फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने ब्याज दरों में 0.75% की बढ़ोतरी की. ब्याज दरें बढ़ाकर 3-3.2 फीसदी की. साथ ही यूएस फेड ने संकेत दिए हैं कि वह आने वाली बैठक में भी ब्याज दरों में बड़ी बढ़ोतरी कर सकता है.

इससे पहले 27 जुलाई को ब्याज दरें बढ़ाई थी. US फेड महंगाई को लेकर चिंतित है. यूएस फेड महंगाई को 2% तक लाने के लिए प्रतिबद्ध है. केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि वह ब्याज दरों को साल 2023 तक 4.6 फीसदी तक ले जा सकता है. बेंचमार्क रेट साल के आखिर तक 4.4 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है. इसके बाद साल 2023 में इसे बढ़ाकर 4.6 फीसदी ले जाने का अनुमान है.