Coronavirus mahamari के बढ़ते मामलों के कारण कच्चे तेल (Crude oil) में तेजी पर ब्रेक लग गया है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. कच्चे तेल का भाव बीते दो सप्ताह से सीमित दायरे में है. उधर, बुधवार को देश में पेट्रोल और डीजल के दाम भी नहीं बढ़े. हालांकि तेल कंपनियों ने 7 दिन बाद मंगलवार को फिर डीजल के दाम में बढ़ोतरी कर दी थी. दिल्ली और कोलकाता में डीजल के दाम में 25 पैसे जबकि मुंबई में 22 पैसे और चेन्नै में 19 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई.

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इस महीने में डीजल के दाम में पहली बार बढ़ोतरी हुई है, जिसके बाद दिल्ली में अनलॉक-2 के दौरान डीजल 11.39 रुपये लीटर महंगा हो गया है. इससे पहले जून में दिल्ली में डीजल के दाम में 11.14 रुपये प्रति लीटर जबकि पेट्रोल की कीमत में 9.17 प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी.

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पेट्रोल के मुकाबले डीजल 35 पैसे प्रति लीटर ऊंचे भाव पर मिल रहा है. इंडियन ऑयल की वेबसाइट के मुताबिक, दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नै में डीजल की कीमत बुधवार को क्रमश: 80.78 रुपये, 75.89 रुपये, 79.05 रुपये ओैर 77.91 रुपये प्रति लीटर हो गई जबकि पेट्रोल का भाव चारों महानगरों में लगातार क्रमश: 80.43 रुपये, 82.10 रुपये, 87.19 रुपये और 83.63 रुपये प्रति लीटर बना हुआ है.

बता दें कि तेल कंपनियों ने बीते महीने जून में 22 बार डीजल के दाम में बढ़ोतरी की जबकि पेट्रोल की कीमत में 21 बार बढ़ोतरी की गई. अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज (आईसीई) पर बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड के सितंबर वायदा अनुबंध में मंगलवार को पिछले सत्र से 1.14 फीसदी की कमजोरी के साथ 42.61 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले ब्रेंट का भाव 42.50 डॉलर प्रति बैरल तक टूटा. दो सप्ताह पहले 23 जून को ब्रेंट का भाव 42.63 डॉलर प्रति बैरल पर बंद हुआ था.

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हालांकि, न्यूयार्क मर्के टाइल एक्सचेंज (नायमैक्स) पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (डब्ल्यूटीआई) के अगस्त वायदा अनुबंध में पिछले सत्र से 1.16 फीसदी की कमजोरी के साथ 40.16 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले डब्ल्यूटीआई का भाव 39.99 डॉलर प्रति बैरल तक गिरा.

एंजेल ब्रोकिंग के डिप्टी वाइस प्रेसीडेंट अनुज गुप्ता (Energy & Currency research) ने कहा कि अमेरिका में कोरोनावायरस संक्रमण का प्रकोप गहराने से तेल के दाम पर दबाव आया है, हालांकि कीमत बहरहाल सीमित दायरे में है.