म्‍यूचुअल फंड (Mutual fund) खासकर मिडकैप और स्‍मालकैप में निवेश करने वालों के लिए अच्‍छी खबर है. बाजार नियामक Sebi ने मल्टीकैप म्यूचुअल फंड के लिए Asset management rules में बदलाव किया है. नए नियमों के तहत ऐसे फंड को अपने फंड का कम से कम 75 प्रतिशत शेयरों में निवेश करना जरूरी होगा. अभी यह सीमा 65 प्रतिशत है.

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जी बिजनेस से खास बातचीत में पैंटोमैथ एएमसी के कोफाउंडर वरिंदर बंसल ने कहा कि यह रेगुलेटर की ओर से बहुत बड़ा फैसला है. इससे स्‍माल कैप कंपनियों में निवेश बढ़ेगा. कोई गाइडलान न होने के कारण बड़े म्‍यूचुअल फंड हाउस स्‍माल कैप शेयरों में न के बराबर निवेश करते हैं.

बंसल के मुताबिक बीते दो साल में Large cap में सबसे ज्‍यादा निवेश हो रहा था. इन शेयरों में रैली के कारण ही मार्केट तेज-धीमे होता था. अब MF हाउसेज को Small और Mid cap में पैसा लगाना पड़ेगा. 

बंसल के मुताबिक मौजूदा समय में AUM 1 लाख 40 हजार करोड़ है. अब Sebi के फैसले के बाद मिड कैप और स्‍माल कैप में 25% यानि 20 से 25 हजार करोड़ रुपए रकम आएगी. अभी मुश्किल से 5% ही स्‍माल कैप में निवेश होता है.

सेबी के सर्कुलर के मुताबिक इसके अलावा इस तरह के फंडों को बड़ी, मध्यम और छोटी बाजार पूजी वाली कंपनियों के शेयर और संबंधित सिक्‍योरिटीज में हरेक में कम से कम 25 प्रतिशत का निवेश करना होगा. 

उद्योग विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम से 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये बड़ी बाजार पूंजी वाली कंपनियों के शेयरों से निकल मिडकैप और स्मॉलकैप कंपनियों में चली जाएंगी. 

नियामक ने कहा कि सभी मल्टीकैप फंड को एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) द्वारा शेयरों की अगली सूची छपने की तारीख से 1 महीने के अंदर इन प्रावधानों पर अमल होना चाहिए. यह तारीख जनवरी, 2021 है. 

सेबी ने कहा कि मल्टीकैप फंडों के निवेश को लार्ज (Large), मिड (Mid) और स्मॉलकैप (Smallcap) कंपनियों में डाइवर्सिफाइड करने के उद्देश्य से मल्टीकैप फंड योजना में कुछ रिवीजन किया गया है. 

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विशेषज्ञों का कहना है कि इस वजह से ऐसे मल्टीकैप फंड लार्जकैप में ज्‍यादा रकम लगाते हैं. शेष पैसा वे मिड और छोटे बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में करते हैं.