मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) लिस्टेड और लिस्टिंग के लिए आने वाली कंपनियों के लिए राह आसान करने की तैयारी में है. इसके लिए सेबी ने LODR और ICDR में बदलाव के लिए कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इसमें स्टार्टअप कंपनियों के लिए IPO लाना आसान बनाने का प्रस्ताव है. मार्केट रेगुलेटर ने एस के मोहंती की अगुवाई में बने वर्किंग ग्रुप के सुझाव के आधार पर यह पेपर लाया है. सभी स्‍टेकहोल्‍डर्स से 1 फरवरी तक सुझाव मांगा है. 

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सेबी की ओर से जारी कंसल्टेशन पेपर के मुताबिक, नए प्रस्‍ताव के अंतर्गत 20% से कम प्रोमोटर/फाउंडर होल्डिंग के बावजूद IPO लाना मुमकिन होगा. इसमें कंपलसरी कन्वर्टिबल सिक्योरिटीज के कन्वर्जन को मिमिनम प्रोमोटर कंट्रीब्यूशन मानने का प्रस्ताव है. DRHP फाइल करने से पहले एक साल तक प्री कन्वर्जन इक्विटी शेयर होना चाहिए. 

OFS साइज में भी फ्लैक्सिबिलिटी का प्रस्‍ताव 

सेबी के प्रस्‍ताव के मुताबिक, OFS साइज में भी फ्लैक्सिबिलिटी मिलेगी. रकम के हिसाब से या शेयरों की संख्या के हिसाब से OFS होगा. अभी OFS साइज में 50% से ज्‍यादा बदलाव पर फिर से DRHP दाखिल करने की शर्त है. मार्केट कैप के आधार पर लागू होने वाले नियमों के लिए सनसेट क्लॉज का प्रस्ताव है.

तीन साल तक तय मार्केट कैप की शर्त न पूरी होने पर मार्केट कैप आधारित नियम लागू नहीं होंगे. इसके अंतर्गत जुलाई-दिसंबर के मार्केट कैप के औसत और 31 दिसंबर की रैंकिंग से मार्केट कैप तय करने का प्रस्ताव है. अभी मार्केट कैप के आधार पर नियम लागू तो मार्केट कैप घटने पर भी वही कंप्लायंस पूरा करने का नियम है. 

सेबी के प्रस्‍ताव के मुताबिक, KMP की वेकेंसी होने पर भर्ती के लिए 3 के बदले 6 महीने का समय दिया जाएगा. सभी तरह के मामलों को लेकर बोर्ड मीटिंग की पूर्व सूचना 2 दिन पहले ही देने का सुझाव, कई मामलों में छूट होगी. कंट्रोल के बाहर होने वाली घटना पर बिडिंग पीरियड कम से कम 3 दिन तक बढ़ाने के बदले 1 दिन बढ़ाना भी काफी होगा. सेबी ने सभी पक्षों से 1 फरवरी तक सुझाव मांगा है.