Financial Planning: आज के दौर में जितनी जल्दी बचत और निवेश शुरू किया जाए, भविष्य में उसका फायदा उतना ज्यादा मिलेगा. बिना निवेश एक उम्र के बाद फाइनेंशियल फ्रीडम हासिल करना मुश्किल है. कम उम्र में ही निवेश शुरू कर आप कंपाउंउिंग का ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं. इससे एक तो आपको निवेश के लिए लंबा समय मिल जाता है. वहीं लंबी अवधि के लिए ​पैसे लगाने से बाजार से जुड़ा रिस्क भी कम हो जाता है. जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने यहां ऐसे कुछ फाइनेंशियल टिप्स दिए हैं, जिसका फायदा उठाकर देश का युवा वर्ग खासतौर से 25 साल से 40 साल वर्ग के बीच के लोग फाइनेंशियल फ्रीडम (Financial Freedom) की ओर कदम बढ़ा सकते हैं.

कम उम्र से ही निवेश जरूरी

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अनिल सिंघवी का कहना है कि भारत में 25 साल से 40 साल के लोगों की संख्या 34 फीसदी के करीब है, जिसे Millennials कहा जाता है. इस उम्र वर्ग में ज्यादा से ज्यादा लोग कमाई करने वाले होते हैं. अगर आप कमा रहे हैं तो आपको भविष्य के बारे में सोचना जरूरी होगा. इसके लिए बचत ही नहीं, बचत के उस पैसे को बाजार में निवेश करना भी जरूरी है. तभी बाद में वित्तीय आजादी हासिल की जा सकती है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके, निवेश शुरू कर दें. इससे  कंपाउंडिंग का इंपैक्ट जबरदस्त देखने को मिलता है.

हिसाब किताब की आदत डालें

उनका कहना है कि खर्चों का हिसाब बहुत जरूरी है इसके लिए हर खर्च को डायरी पर लिखने की आदत डाल लें. भले ही आज के जमाने में आनलाइन पेमेंट का चलन है, खर्च की डिटेल डायरी पर जरूर लिखें. इससे फाइनेंस को समझना आसान होगा. आपके पास हिसाब होगा कि कितना बचत हुआ और कितना खर्च.

मार्केट रिस्क समझें

अनिल सिंघवी का कहना है कि कैपिटल मार्केट में रिस्क है, लेकिन बाजार निवेश के लिए ही बना है. इसलिए रिस्क मैनेजमेंट सीखें. आपको अपने लेवल पर तय करना है कि आप बाजार का कितना रिस्क ले सकते हैं. रिस्क लेने की अपनी क्षमता समझें, फिर अपने गोल तय करें. गोल तय करने के बाद बाजार में पैसे लगाएं. बिना गोड वाले निवेश का कोई फायदा नहीं है.

गोल बनाकर कैलकुलेशन करें

यहां गोल का मतलब है कि आगे घर खरीदना है या गाड़ी खरीदनी है. बच्चों की शादी पर कितना खर्च करना है या विदेश टूर पर जाना है. गोल के हिसाब से खर्च का कैलकुलेशन करें और उस हिसाब से निवेश करें. अगर आपको कैलकुलेशन के बाद लगता है कि आपके गोल ज्यादा हैं और इतना निवेश नहीं हो सकता तो उन्हें कम करें.

कहां करें इन्वेस्ट

अनिल सिंघवी का कहना है कि युवा वर्ग के लोगों को निवेश के लिए ज्यादा वक्त मिलता है तो यहां रिस्क बहुत हद तक कवर हो जाता है. ऐसे में उनकी प्राथमिकता इक्विटी में होनी चाहिए. इक्विटी का मतलब है कि आप सीधे शेयर बाजार में भी पैसे लगा सकते हैं और म्यूचुअल फंड के जरिए भी इक्विटी में पैसे डाल सकते हैं.

वहीं अगर कुछ दिन के लिए इमरजेंसी फंड बनाना है तो फिक्स्ड इनकम के विकल्पों में कुछ पैसे डाल सकते हैं. पोर्टफोलियो का एक छोटा पार्ट गोल्ड में रखें जो सेफ विकल्प है. जरूरत के हिसाब से ही प्रॉपर्टी खरीदें. डेट फंड से दूर रहें.