IDBI बैंक के RBI के Intensive Care यानि प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन यानी त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (Prompt Corrective Action-PAC) से बाहर आने के बाद शुक्रवार को इसके शेयरों में खासा उछाल देखा गया. कारोबार के दौरान यह 17 प्रतिशत तक उछला. निवेशकों ने इस शेयर में खासी दिलचस्‍पी दिखाई. शेयर बाजार में कारोबार के अंत में यह 4 प्रतिशत ऊपर बंद हुआ. इसका CMP 42 रुपए रहा.

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बैंक ने RBI को लिख कर दिया है कि वह मिनिमम रेगुलेटरी कैपिटल, शुद्ध NPA और लेवरेज रेशियो  की शर्तों को मानेगा. बैंक के प्रदर्शन को फरवरी में आंका गया था. LIC का 49 परसेंट हिस्सा खरीदने के बाद IDBI बैंक में तिमाही-दर-तिमाही लगातार सुधार हो रहा था और तीसरी तिमाही में बैंक ने अच्छे नतीजे पेश किए. 

रिजर्व बैंक ने मई, 2017 में बैंक पर कर्ज बांटने समेत कई बंदिशें लगाई थीं. इसके तहत IDBI बैंक की नए ब्रांच खोलने और डिविडेंड जारी करने पर रोक लगा दी गई थी. बैंक के कामकाज को सुधारने के लिए यह पहल की गई थी. पीएसी की कार्रवाई के बाद बैंक को प्रोविजनिंग ज्यादा करना होता है. हालांकि, आरबीआई के फैसले का बैंक के कामकाज पर असर नहीं होता है.

IDBI एक सरकारी बैंक था, जो 1964 में देश में बना था. जून, 2018 में LIC ने आईडीबीआई में 21,000 करोड़ रुपये का निवेश करके 51 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी थी. इसके बाद, LIC और सरकार ने मिलकर IDBI बैंक को 9,300 करोड़ रुपये दिए. आईडीबीआई बैंक में LIC की 51 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि सरकार की 47 फीसदी हिस्सेदारी है.

उधर, 4 बैंकों के Privatisation बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि निजीकरण किए जाने से ग्राहकों के खाते प्रभावित नहीं होते हैं. बैंक अपनी सेवा को पहले की तरह बनाए रखता है. इसके अलावा, घर, व्यक्तिगत और ऑटो कर्ज की ब्याज दरें और सुविधाएं पहले जैसी ही बनी हुई रहती हैं.

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