ऐसे समय जब निवेशक कोरोनावायरस (Coronavirus) के फैलने से बुरी तरह डरे हुए हैं और बाजार भारी उठापटक के दौर से गुजर रहे हैं, ‘और यह आपके समूचे पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को भी बेहतर बना सकता है.वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) ने कहा है कि सोना (Gold) ऐसे समय में जरूरी नकदी (Cash) और लिक्विडिटी उपलब्ध करा सकता है. इसमें साख यानी क्रेडिट का भी कोई जोखिम नहीं है

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डब्लयूजीसी (WGC) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सोना स्पष्ट तौर पर शेयर (share), बॉन्ड (Bond) और व्यापक आधार वाले पोर्टफोलियो का अनुपूरक हो सकता है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, काउंसिल का कहना है कि इसमें किसी भी प्रकार की प्रणालीगत असफलता (System failure), मुद्रा अवमूल्यन और मुद्रास्फीति जोखिमों से बचाव और ढाल बनने की पूरी क्षमता है. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि एतिहासिक रूप से सोना पोर्टफोलियो से जुड़े रिटर्न जोखिम को समन्वित करने में मदद करता है, सकारात्मक रिटर्न उपलब्ध कराता है और बाजार में दबाव पैदा होने की स्थिति में यह देनदारियों को पूरा करने की क्षमता रखता है.

डब्लयूजीसी के प्रबंध निदेशक (भारत) सोमासुंद्ररम पीआर का कहना है कि भारतीय निवेशकों के लिये आज सोना पहले से कहीं अधिक प्रासांगिक है. अनिश्चितता के ऐसे समय में जब वैश्विक बाजारों में उठापटक चल रही है, सोना पोर्टफोलियो के विभिन्न स्तरों पर जोखिम और रिटर्न के बीच समायोजन में सुधार लाने की क्षमता रखता है और यह मुद्रास्फीति के समक्ष आपके लिये बचाव का भी साधन बनता है, हमारे आंकड़े इसकी पुष्टि करते हैं.

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उन्होंने कहा कि सोने के साथ ही विविध स्टॉक वाले पोर्टफोलियो में बाजार की घटबढ़ पर घबराहटपूर्ण प्रतिक्रिया का जोखिम नहीं रहता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1981 से लेकर अब तक सोने पर वार्षिक औसत रिटर्न 10 प्रतिशत तक रहा है जबकि इस दौरान भारतीय उपभोक्ता मूलय सूचकांक का औसत 7.35 प्रतिशत रहा है.