सोने के बाजार (Gold Market) को नियंत्रण करने के लिए सरकार जल्द ही गोल्ड पॉलिसी (Gold Policy) लेकर आ रही है. जानकार बताते हैं कि गोल्ड पॉलिसी (Gold Policy) का ड्राफ्ट कैबिनेट के सामने रखा जा चुका है. अभी इसकी समक्षा की जा रही है. अगले 2-3 हफ्ते में कमेटी इस पर अपनी मंजूरी दे सकती है. कमेटी की मंजूरी मिलने के बाद सरकार इस पॉलिसी का ऐलान कर देगी. फरवरी 2018 में बजट के दौरान गोल्ड पॉलिसी का ऐलान किया गया था. 

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दरअसल, सरकार घरों की तिजोरी और बैंक के लॉकरों में बंद पड़े सोने (Gold) को बाहर निकालकर उसे अर्थव्यवस्था (economy) में शामिल करना चाहती है. सोने को एक फाइनेंशियल असेट के तौर पर विकसित करने की योजना है. घरों में बंद सोना अनप्रोडक्टिव है, उसे सिस्टम में लाकर उसकी ज्यादा उत्पादकता (प्रोडक्टिवि) बढ़ाए जाने की योजना है ताकि अर्थव्यवस्था को भी सोने का सहारा मिल सके. घर का सोना जब मार्केट में आ जाएगा तो भारत को सोने का निर्यात भी कम करना पड़ेगा. 

सरकार के मुताबिक घरों में करीब 24 हजार टन सोना रखा हुआ है. यह सोना देश की अर्थव्यवस्था के काम नहीं आ रहा है. 

गोल्ड पॉलिसी

गोल्ड पॉलिसी (Gold Policy) में एक्सपर्ट ने सोने को इकोनॉमी में शामिल करने के लिए कई सुझाव दिए हैं. इनमें एक है, शेयर बाजार की तरह सोने की ट्रेडिंग के लिए स्पॉट एक्सचेंज (Spot Gold Exchange) की स्थापना का सुझाव. अगर गोल्ड स्पॉट एक्सचेंज तैयार होगा तो लोग शेयर मार्केट (Share Market) की तरह सोने में भी ट्रेडिंग कर सकेंगे.

बुलियन बैंकिंग (bullion bank) को मंजूरी देना भी इस गोल्ड पॉलिसी में शामिल है. अभी बैंक सिर्फ सोना बेचते हैं, खरीदते नहीं हैं. सरकार की मंशा है कि बैंक भी सोने की खरीद-फरोख्त करें. 

 

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गोल्ड मोनेटाइजेशन (Gold Monetization) स्कीम में बदलाव पर भी सरकार जोर दे रही है. इस स्कीम में सोने को बैंक में जमा करने पर 2.5 फीसदी तक का ब्याज दिया जाता है. लेकिन इसके बाद भी इस स्कीम का खास रिस्पांस नहीं मिला है. सरकार की मंशा है कि गोल्ड मोनेटाइनजेशन स्कीम में बदलाव कर इसे लोगों के फायदे के मुताबिक बनाया जाए.