Gold Outlook: बीते हफ्ते सोने में शानदार एक्शन दिखा. साप्ताहिक आधार पर यह 900 रुपए के उछाल के साथ 60511 रुपए प्रति दस ग्राम के स्तर पर बंद हुआ. कारोबार के दौरान MCX पर गोल्ड ने 61181 रुपए प्रति दस ग्राम का ऑल टाइम हाई बनाया.  चांदी की बात करें तो साप्ताहिक आधार पर इसमें 2352 रुपए की मजबूती दर्ज की गई और यह 74570 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर बंद हुई. कारोबार के दौरान इसने 75175 का उच्चतम स्तर छुआ जो कई महीनों का रिकॉर्ड स्तर है. ग्लोबल इकोनॉमी में खासकर विकसित देशों में मंदी का खतरा बढ़ रहा है. यही वजह है कि सोना-चांदी के प्रति निवेशकों का आकर्षण बढ़ा है और इसकी कीमत को सपोर्ट मिल रहा है.

इन वजहों से सोना-चांदी में तेजी

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सोना-चांदी की कीमत में उछाल के पांच प्रमुख कारण हैं.  भारत में शादियों का सीजन मार्च-अप्रैल से शुरू हो जाता है जो दिवाली यानी अक्टूबर-नवंबर तक चलता है. कीमत ज्यादा जरूर है, लेकिन मांग में भी तेजी देखी जा रही है. फेस्टिव डिमांड से कीमत को सपोर्ट मिल रहा है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा गोल्ड कंज्यूमर है. वहां भी गोल्ड की डिमांड देखी जा रही है. बैंकिंग क्राइसिस के कारण फेडरल रिजर्व का रुख नरम हो रहा है. इसके कारण डॉलर कमजोर पड़ रहा है और  गोल्ड की कीमत में सुधार आ रहा है. दुनियाभर के सेंट्रल बैंक भी फिजिकल गोल्ड की बड़े पैमाने पर खरीदारी कर रहे हैं. बैंकिंग क्राइसिस से मंदी का संकट गहरा रहा है. ये तमाम फैक्टर्स सोना और चांदी की कीमत को मजबूती प्रदान कर रहे हैं.

अगले हफ्ते के लिए सोना-चांदी का आउटलुक

IIFL सिक्यॉरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट, अनुज गुप्ता ने कहा कि अगले हफ्ते के लिए MCX पर गोल्ड के लिए पहला सपोर्ट 60 हजार रुपए प्रति दस ग्राम और दूसरा सपोर्ट 59500 रुपए पर है. तेजी की स्थिति में पहला अवरोध 61000 रुपए के स्तर पर है. इसके बाद 61500 रुपए के स्तर पर अवरोध है. चांदी की बात करें तो इसके लिए सपोर्ट 73000 और फिर 71000 रुपए के स्तर पर है. तेजी की स्थिति में 75500 रुपए और 77000 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर पर अवरोध रहेगा.

डॉलर नरम हो रहा है और सोना गरम हो रहा है

एक्सपर्ट ने कहा कि अभी सोने की कीमत में तेजी की पूरी संभावना है.  अक्षय तृतीया पर सोने की जबरदस्त मांग रहती है. यह 22 अप्रैल को है. रमजान और ईद के मौके पर भी गोल्ड की अच्छी मांग रहती है. मंदी की आहट के बीच सेंट्रल बैंक भी फिजिकल गोल्ड खरीद रहे हैं. अमेरिकी इकोनॉमी को लेकर कमजोर डेटा इसकी तरफ इशारा कर रहा है. फेडरल रिजर्व का रुख नरम हो रहा है, जिसके कारण डॉलर नरम हो रहा है और सोना गरम हो रहा है.