Gold Hallmarking: सोने से बनी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य तो कर दिया गया, लेकिन अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका है. नए नियमों को 1 जून से लागू करना था, लेकिन महामारी कोरोना के चलते इसे एक बार फिर टाल दिया गया है. केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए सोने की ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग के नियमों में एक बार फिर ढील देने का ऐलान किया है. 15 जून 2021 तक इसे टाला गया है. मतलब अब 16 जून से हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) के नियम लागू होंगे. इसके बाद देश में सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी की बिकेगी. 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बता दें कि देशभर में अनिवार्य हॉलमार्किंग लागू करने की तारीख कई बार बढ़ाई जा चुकी है. इसे इस साल जनवरी में लागू होना था. लेकिन, कोरोना की वजह से तारीख बढ़ाकर 1 जून कर दी गई थी. फिर से इसे बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया है. इस बार देशभर में कोरोना की दूसरी लहर को देखते हुए तारीख बढ़ाई गई है.

क्या है हॉलमार्किंग?

हॉलमार्क सरकारी गारंटी है. हॉलमार्क का निर्धारण भारत की एकमात्र एजेंसी ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआईएस) करती है. हॉलमार्किंग में किसी प्रोडक्ट को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. सोने के सिक्के या गहने पर हॉलमार्क के साथ BIS का लोगो लगाना जरूरी है. इससे पता चलता है कि BIS की लाइसेंस वाली लैब में इसकी शुद्धता की जांच की गई है.

हॉलमार्क की पांच पहचान

- असली हॉलमार्क पर BIS बीआईएस का तिकोना निशान होता है.

- उस पर हॉलमार्किंग केन्द्र का लोगो होता है.

- सोने की शुद्धता भी लिखी होती है.

- ज्वेलरी कब बनाई गई है इसका वर्ष लिखा होता है.

- ज्वेलर का लोगो भी होता है.

क्यों जरूरी है हॉलमार्किंग?

ग्राहकों को नकली ज्वेलरी से बचाने और कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग बेहद जरूरी है. हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी. मतलब आपको सोने का वाजिब दाम मिलेगा. हॉलमार्किंग में प्रोडक्ट कई चरणों में गुजरता है. ऐेसे में गुणवत्ता में किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती है. 

ग्राहकों को कैसे होगा फायदा

एक्सपर्ट्स का कहना है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में ग्राहकों को 22 कैरेट के बजाय 21 कैरेट सोना बेचा जाता है. हालांकि, ज्वेलरी का दाम 22 कैरेट या 24 कैरेट के मुताबिक वसूले जाते हैं. हॉलमार्क होने से यह झूठ पकड़ा जा सकेगा. सही हॉलमार्क नहीं होने पर पहले ज्वेलर को नोटिस जारी किया जाएगा. हॉलमार्किंग के लिए ज्‍वेलर्स को लाइसेंस भी लेना होगा.

धोखाधड़ी में सजा का भी प्रावधान

नियमों के मुताबिक, 1 लाख से लेकर ज्वेलरी के दाम के 5 गुना तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. धोखाधड़ी पर जुर्माना के साथ 1 साल तक की कैद भी हो सकती है. जांच के लिए सरकार ने BIS-Care के नाम App भी लॉन्च की है.App पर शुद्धता की जांच के साथ शिकायत की भी सुविधा मौजूद है. हॉलमार्किंग से संबंधित गलत जानकारी पर कर शिकायत सकते हैं.

Zee Business Hindi Live