नई दिल्ली : विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले चार कारोबारी सत्रों में भारतीय पूंजी बाजारों से 9,300 करोड़ रुपये (1.3 अरब डॉलर) निकाले. FPI की ओर से निकासी की अहम वजह कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और रुपये की विनिमय दर में गिरावट रही. इससे पहले पिछले महीने विदेशी निवेशकों ने शेयर और डेट मार्केट से 21,000 करोड़ से अधिक की निकासी की. इससे पहले जुलाई-अगस्त के दौरान निवेशकों ने शुद्ध 7,400 करोड़ रुपये का निवेश किया था.

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डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 1 से 5 अक्टूबर के दौरान शेयर बाजार से 7,094 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की और डेट मार्केट से 2,261 करोड़ रुपये रुपये निकाले. इस प्रकार, निवेशकों ने कुल 9,355 करोड़ रुपये की निकासी की.

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बजाज कैपिटल के उपाध्यक्ष और निवेश विश्लेषक प्रमुख अलोक अग्रवाल ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों और अमेरिकी ब्रांड के प्रतिफल में वृद्धि और वैश्विक स्तर पर डॉलर की आपूर्ति की तंग स्थिति एफपीआई निकासी की प्रमुख वजह रही. इसके चलते मुद्रा बाजार, बॉन्ड और शेयर बाजार में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया.

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अग्रवाल ने कहा कि हालांकि, यह बात ध्यान रखने वाली है कि सभी उभरते हुए बाजारों में इसी तरह की स्थिति है. यह सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है. वास्तव में भारत पर इसका ज्यादा असर पड़ा क्योंकि वह अपने पेट्रोलियम जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है. आईएलएंडएफएस द्वारा ऋण चूक ने गिरावट पर और दबाव डाला.