FPI Indflow in Indian Market: एक महीने के लगातार निवेश के बाद, फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) जुलाई के पहले सात बिजनेस सेशन में भारतीय इक्विटी खंड (Indian Equities segment) में बिकवाली कर रहे हैं. NSDL के डेटा के मुताबिक जुलाई में अब तक 2,249 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट वापस लिया जा चुका है.

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एक्सपर्ट्स के मुताबिक कोरोना के डेल्टा वेरिएंट और तेल की बढ़ती कीमतों की चिंता ने इन्वेस्टर्स को बिकवाली करने की तरफ बढ़ाया है.

ये है बाजार की चिंता का कारण

कोटक सिक्योरिटीज (Kotak Securities) के कार्यकारी उपाध्यक्ष (इक्विटी टेक्निकल रिसर्च) श्रीकांत चौहान (Shrikant Chouhan) ने कहा जुलाई 2021 में FPI अभी तक भारतीय इक्विटी बाजार में बिकवाली कर रहे हैं. सभी प्रमुख उभरते बाजारों और एशियाई बाजारों में इस महीने अभी तक FPI की निकासी देखी गई है. 

उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि भारत में FPI का प्रवाह US Federal Reserve की मॉनिटरी पॉलिसी और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के प्रति संवेदनशील बना रहेगा. आगे आने वाले कारोबारी सत्र में बाजार कोविड के डेल्टा वेरिएंट, इंफ्लेशन, तेल की कीमतों और बॉन्ड प्रतिफल पर भी नजर रखेगा. 

मुनाफावसूली भी है हावी

मॉर्निंगस्टार इंडिया (Morningstar India) के एसोसिएट डायरेक्टर (मैनेजर रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव (Himanshu Srivastava) ने कहा कि इस बिकवाली का मुख्य कारण FPI द्वारा मुनाफावसूली करना है. बाजार अब तक के उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहे हैं और निवेशकों ने किनारे रहना पसंद किया है.

बड़ी बिकवाली से बचा है बाजार

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज (Geojit Financial Services) के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटजिस्ट वी के विजयकुमार (V K Vijayakumar) ने कहा कि हमें समझना चाहिए कि इन्वेस्टर्स बड़ी बिकवाली नहीं कर रहे हैं. इसकी वजह यह है कि वैल्यूएशन बढ़ाए जाने के बावजूद बाजारों में बड़ी गिरावट के कोई संकेत नहीं हैं. 10 साल वाले अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड के 1.3 फीसदी तक गिर जाने से बाजार फिर से इक्विटी की तरफ झुक गया है.

विजयकुमार के मुताबिक डॉलर इंडेक्स में लगातार बढ़त उभरते बाजारों में कैपिटल फ्लो के लिए हेडविंग बन गई है. डिपॉजटरी डेटा के मुताबिक, Debt Segment में 1 जुलाई से 10 जुलाई के बीट 2,088 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है और 161 करोड़ रुपये निकाले गए हैं.

इससे पहले जून में FPI ने भारतीय बाजारों में 13,269 करोड़ रुपये का निवेश किया था. वहीं कोरोना की दूसरी लहर के दौरान अप्रैल और मई में भारतीय बाजारों में निकासी छाई रही.