विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने घरेलू पूंजी बाजारों से इस महीने अब तक 3,014 करोड़ रुपये की निकासी की है. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार द्वारा एफपीआई पर टैक्स सरचार्ज हटाए जाने से वह वापस स्थानीय शेयर बाजारों में निवेश का रुख कर सकते हैं. डिपॉजिटरीज के आंकड़ों के मुताबिक एक से 23 अगस्त के बीच एफपीआई ने शेयर बाजारों से 12,105.33 करोड़ रुपये की निकासी की. लेकिन बांड बाजार में 9,090.61 करोड़ रुपये का निवेश किया. इस तरह उन्होंने इस दौरान घरेलू पूंजी बाजार (शेयर और बांड) से कुल 3,014.72 करोड़ रुपये की निकासी की है.

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15 कारोबारी सत्रों में से केवल 2 सत्र में ही विदेशी निवेशकों ने शुद्ध लिवाली की. अमेरिका-चीन ट्रेड वार, ऊंची आय वाले निवेशकों पर बजट में टैक्स रेट बढ़ाने और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के नीतिगत दरों में कटौती जैसे कारणों के चलते एफपीआई की शेयर बाजार में बिकवाली जारी रही.

इकोनॉमिक ग्रोथ को सहारा देने के उद्देश्य से सरकार ने शुक्रवार को कई कदम उठाने की घोषणा की थी. इसमें घरेलू और विदेशी निवेशकों पर बजट में लगाए गए टैक्स सरचार्ज को वापस लेना अहम रहा. जुलाई में 2019-20 के बजट में यह प्रावधान किए जाने से पहले एफपीआई देश में लगातार शुद्ध लिवाल बने हुए थे. 

एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार में जून में 10,384.54 करोड़ रुपये, मई में 9,031.15 करोड़ रुपये, अप्रैल में 16,093 करोड़ रुपये, मार्च में 45,981 करोड़ रुपये और फरवरी में 11,182 करोड़ रुपये का निवेश किया था. हालांकि जुलाई में एफपीआई ने 2,985.88 करोड़ रुपये की बिकवाली थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की शुक्रवार की घोषणाओं से उम्मीद है कि निवेशक वापस लौटेंगे और बाजार में सुधार देखने को मिलेगा.