बीते हफ्ते कमोडिटी बाजार पर दबाव दिखा. कमजोर डिमांड आउटलुक, डॉलर इंडेक्स में उछाल और रूस की तरफ से बैन को कम करने के कारण क्रूड ऑयल में करीब 12 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.  क्रूड का भाव 97 डॉलर पर पहुंचने के बाद घटकर 84 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. इंटरनेशनल मार्केट में गोल्ड में 1.5 फीसदी की गिरावट आई और यह 1820 डॉलर प्रति आउंस पर बंद हुआ.

MCX पर सोना-चांदी करीब 1600 रुपए तक सस्ती हुई

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हफ्ते के आखिरी कारोबारी सत्र में घरेलू बाजार में MCX पर सोना 56898 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ. इससे पिछले हफ्ते सोना 57600 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ था. गोल्ड में करीब 702 रुपए प्रति दस ग्राम की गिरावट आई. चांदी 68290 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. इससे पिछले हफ्ते चांदी 69857 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी. इस तरह इसमें 1567 रुपए प्रति किलोग्राम की गिरावट आई.

सर्राफा बाजार में सोना महंगा, चांदी सस्ती हुई

शुक्रवार को दिल्ली सर्राफा बाजार में सोना 50 रुपए की तेजी के साथ 57400 रुपए प्रति दस ग्राम पर बंद हुआ. चांदी में 400 रुपए की गिरावट दर्ज की गई और यह 70900 रुपए प्रति किलोग्राम पर बंद हुई. IBJA की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, 24 कैरेट गोल्ड का भाव 5654 रुपए प्रति ग्राम रहा. 22 कैरेट का भाव 5518 रुपए, 20 कैरेट का भाव 5032 रुपए, 18 कैरेट का भाव 4580 रुपए और 14 कैरेट का भाव 3647 रुपए प्रति ग्राम रहा. इस भाव में 3 फीसदी का GST और मेकिंग चार्ज शामिल नहीं है.

क्रूड ऑयल के क्या पॉजिटिव और निगेटिव फैक्टर्स हैं?

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी जॉब डेटा मजबूत है जो डॉलर की मजबूती को सपोर्ट कर रहा है. डॉलर के मजबूत होने से ऑयल की मांग पर निगेटिव असर होता है क्योंकि खरीदारी करना महंगा हो जाता है. दूसरी तरफ मजबूत जॉब डेटा आर्थिक गतिविधियों में मजबूती को दर्शाता है जो डिमांड को सपोर्ट करता है. क्रूड में गिरावट है क्योंकि सप्लाई की समस्या घट रही है. रूस ने डीजल एक्सपोर्ट पर बैन हटाने का फैसला किया है. इसके अलावा चीन में ट्रैवल एक्विटी में जबरदस्त ग्रोथ आया है जो ऑयल डिमांड को सपोर्ट करता है.

सिल्वर के मुकाबले गोल्ड आउट परफार्म करेगा

बीते हफ्ते शेयरखान ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसके मुताबिक, ग्रोथ कंसर्न के बीच सिल्वर के मुकाबले गोल्ड आउटपरफॉर्म करेगा. ब्रोकरेज का कहना है कि ग्लोबल इकोनॉमी की हालत बहुत अच्छी नहीं है. स्टिमुलस को लेकर चीन अग्रेसिव नहीं है. लंबे समय तक हाई इंटरेस्ट रेट बने रहने की उम्मीद है. चीन से सिल्वर की इंडस्ट्रियल मांग जोर नहीं पकड़ रहा है. ये तमाम फैक्टर्स गोल्ड को ज्यादा आकर्षक बना रहे हैं.

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