Crude oil price news: पूरे कोरोनाकाल में क्रूड मार्केट की चाल ने एनर्जी मार्केट में नया इतिहास रच दिया. साल 2020 के अप्रैल का वो महीना कौन भूल सकता है, जब कच्चे तेल के दाम माइनस में चले गए थे. अमेरिका में WTI क्रूड का भाव माइनस 40 डॉलर तक चला गया था. हालात ऐसे हो गए थे कि क्रूड रखने की जगह नहीं मिल रही थी. और ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि कोरोना की पहली लहर ने दुनिया की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी थी.

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साल 2021 में क्रूड मार्केट ने बड़ा पलटवार किया

आर्थिक गतिविधियां ठप हो गई थीं, घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बंद हो गई थी. लेकिन साल 2021 में क्रूड मार्केट ने बड़ा पलटवार किया और दाम 50 परसेंट से ज्यादा बढ़ गए. ब्रेंट क्रूड (Crude oil) का भाव 80 डॉलर के करीब पहुंच गया. अब सवाल ये है कि ऐसा क्या हो गया कि क्रूड उबलने लगा और उससे भी बड़ा सवाल ये कि क्या 2022 में तेल की कीमतें (Crude oil price prediction for 2022) और बढ़ेंगी? इसके लिए डिमांड-सप्लाई के गणित को समझना जरूरी है.

क्यों बढ़े कच्चे तेल के दाम?

जब साल 2020 में तेल की कीमतें माइनस में चली गईं थीं, तब ओेपेक और गैर-ओपेक देशों ने उत्पादन में भारी कटौती का फैसला लिया था. दुनिया के कुल उत्पादन का करीब 10 परसेंट यानी रोजना 97 लाख बैरल उत्पादन घटाने के ऐलान ने एनर्जी मार्केट में खलबली मचा दी थी. जब कोरोना की पहली लहर धीमी पड़ी और दुनिया में इकोनॉमी पटरी पर लौटने लगी तो कच्चे तेल की मांग भी बढ़ने लगी. लेकिन OPEC ने जिस रफ्तार से उत्पादन घटाया था, उस रफ्तार से उत्पादन बढ़ाना शुरू नहीं किया. अमेरिकी दबाव के बावजूद OPEC अभी भी रोजाना 4 लाख बैरल ही उत्पादन बढ़ा रहा है. नतीजा ये हुआ कि अमेरिका, भारत सहित कुछ देशों को अपने रिजर्व से तेल की सप्लाई शुरू करना पड़ा. ओपेक पूरी दुनिया में करीब 40 परसेंट तेलों (Crude oil news) की सप्लाई करता है.

नए साल में और बढ़ेगें तेल के दाम?

जिस तरह से दुनियाभर में अभी कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा बढ़ रहा है, ऐसे में क्रूड की मांग को लेकर आशंका बनी हुई है. यही वजह कि ओपेक और गैर-ओपेक देश भी फूंक-फूंककर कदम उठा रहे हैं. यानी ज्यादा उत्पादन बढ़ाने से बच रहे हैं. नए साल में तेल की चाल पूरी तरह से इस बात पर निर्भर करेगी कि कोरोना को लेकर क्या हालात बनते हैं. फिर भी एनर्जी मार्केट के एक्सपर्ट का मानना है कि कोरोना को लेकर खतरा थोड़ा कम भी होता है, तब भी अचानक क्रूड मार्केट के रफ्तार पकड़ने की संभावना कम होगी. मतलब ये कि नए साल की पहली छमाही में तेल की कीमतें 70-80 डॉलर के दायरे में ही रहने की संभावना है. 

कीमतें नहीं बढ़ने के पीछे एक वजह और

जल्द तेल कीमतें नहीं बढ़ने के पीछे एक वजह और है. अमेरिका में साल 2022 में मिड टर्म चुनाव भी है. अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन तब तक क्रूड की कीमतों को काबू में ही रखना चाहेंगे. लेकिन जब अमेरिका में चुनाव संपन्न हो जाएंगे और कोरोना को लेकर खतरा टल जाएगा तो मांग में फिर बड़ी बढ़ोतरी हो सकती है. 

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भाव 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकता है 

एक्सपर्ट का मानना है कि तब साल के आखिर में भाव 100 डॉलर प्रति बैरल तक भी चला जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी. कुछ एक्सपर्ट ये भी मानते हैं कि ग्रीन एनर्जी की जितनी भी बातें हो, लेकिन अगले 15-20 सालों  तक कच्चे तेल का मार्केट (Crude oil price prediction for 2022) बना रहेगा, और दाम बहुत गिर जाएं, इसकी संभावना कम ही रहेगी.