अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के फैसले के बाद कच्चे तेल के दाम में गिरावट आई है. इंटरनेशनल वायदा बाजार में कच्चे तेल के दाम में गुरुवार को एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई. इंटरनेशनल मार्केट से मिले कमजोर संकेतों से घरेलू वायदा बाजार पर भी कच्चे तेल का भाव 4,000 रुपये प्रति बैरल के स्तर से नीचे आ गया. कच्चे तेल के दाम में नरमी आने से एक बार फिर पेट्रोल और डीजल के दाम में इजाफे की अटकलों पर ब्रेक लग गया है.

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कमोडिटी मार्केट एक्सपर्ट के अनुसार, फेड के फैसले से निवेशकों का मनोबल टूटा है और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वॉर को लेकर हो रही बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंचने से कच्चे तेल की मांग में सुस्ती रहने की संभावना बनी हुई है. 

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज पर कच्चे तेल के अगस्त वायदा में 33 रुपये यानी 0.82 फीसदी की कमजोरी के साथ 3,999 रुपये प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था जबकि इससे पहले भाव 3,997 रुपये प्रति बैरल तक गिरा.

इंटरकांटिनेंटल एक्सचेंज यानी आईसीई पर ब्रेंट क्रूड के अक्टूबर वायदा में गुरुवार को 1.11 फीसदी की गिरावट के साथ 64.33 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार चल रहा था. वहीं, न्यूयार्क मर्केंटाइल एक्सचेंज यानी नायमैक्स पर अमेरिकी लाइट क्रूड वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट यानी डब्ल्यूटीआई 1.33 फीसदी की गिरावट के साथ 57.88 डॉलर प्रति बैरल पर बना हुआ था.

बता दें कि फेड ने बुधवार को ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की. मगर, फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने आगे ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं से इनकार कर दिया, जिससे निवेशकों का मनोबल टूटा है.

 

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इसके अलावा अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर को दूर करने की दिशा में बुधवार को दोनों देशों के नेताओं और अधिकारियों के बीच हुई बातचीत से भी कोई ठोस नतीजा निकल कर नहीं आया. इसलिए अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार घटने के बावजूद तेल के दाम में नरमी का रुख बना हुआ है.

अमेरिकी एजेंसी एनर्जी इन्फोरमेशन एडमिनिस्ट्रेशन की बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में कच्चे तेल का भंडार पिछले सप्ताह तकरीबन 85 लाख बैरल घट गया.