Crude Latest News: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान पर पहुंच गई है. कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर से 109 रुपये प्रति लीटर तक बिक रहा है. डीजल ने भी सेंचुरी लगा दी है. कोरोना के संकट से पहले से जूझ रहे आम आदमी को महंगाई का भी यह डोज झेलना पड़ रहा है. फिलहाल पेट्रोल और डीजल के सस्ते होने का इंतजार कर रहे आम आदमी को अभी कुछ खास राहत नहीं मिलने वाली है. तेल की कीमतों में राहत की गुंजाइश अब सरकार के द्वारा लगाये जा रहे टैक्स में कटौती से ही है, लेकिन हाल फिलहाल में अभी ज्यादा बड़ी कटौती की उम्मीद नहीं है. दूसरी ओर एक ओर क्रूड की कीमतों में तेजी का आउटलुक बना हुआ है. जानते हैं ऐसी 4 बड़ी वजह जिससे पेट्रोल और डीजल पर राहत के आसार नहीं हैं.

ब्रेंट क्रूड इस साल 46% महंगा, और होगा महंगा

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आज के कारोबार में ब्रेंट क्रूड 75 डॉलर के पार चला गया है. इस साल की बात करें तो क्रूड जनवरी से अबतक 46.36 फीसदी महंगा हो चुका है. वहीं बीते 1 साल में क्रूड की कीमतों में 68.21 फीसदी की तेजी आई है. वहीं एक्सपर्ट इसमें आगे और तेजी का अनुमान जता रहे हैं. केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया का कहना है कि जिस तरह से ग्लोबल इकोनॉमी खुल रही है और काम धंधे शुरू हो रहे हैं, कच्चे तेल की मांग लगातार बढ़ रही है. खासतौर से एविएशन सेक्टर से हैवी डिमांड है. ओपेक देशों के प्रोडक्शन में सुस्ती है. आगे डिमांड आउटलुक और बेहतर नजर आ रहा है. ऐसे में क्रूड शॉर्ट टर्म में 78 डॉलर और 6 महीने में 80 डॉलर प्रति बैरल का भाव भी टच कर सकता है. उनका कहना है कि चार्ट देखें तो ऐसा लग रहा है कि क्रूड आने वाले दिनों में साल 2018 मिड का हाई पार कर जाएगा. तब क्रूड 83 डॉलर पर पहुंचा था.

बैंक ऑफ अमेरिका ग्लोबल रिसर्च ने इस साल और अगले साल के लिये अपने ब्रेंट क्रूड की कीमतों का अनुमान बढ़ा दिया है. रिसर्च के अनुसार अगले साल ब्रेंट क्रूड 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच सकता है.

5 बड़ी वजह: तेल की कीमतों में राहत के आसार कम

1. जैसे जैसे दुनियाभर के देशों में वैक्सीनेशन की गति तेज हो रही है, वहां की इकोनॉमी खुल रही है. ग्लोबल इकोनॉमी खुलने से खासतौर से इंडस्ट्री और एविएशन सेक्टर से फ्यूल की डिमांड बढ़ रही है. लोग अब घूमने फिरने घरों से बाहर निकल रहे हैं. क्रूड की डिमांड बढ़ने से ओपेक व अन्य क्रूड उत्पादक देशों के पास कमाई का बेहतर मौका दिख रहा है.

2. यूएस फेड द्वारा जल्द ब्याज दरें बढ़ाए जाने के संकेत से डॉलर इंडेक्स मजबूत हुआ है तो रुपये में कमजोरी आई है. हम अपनी कुल जरूरतों का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आयात करते हैं. रुपया कमजोर होने से देश के आयात का खर्च बढ़ेगा, ऐसे में पेट्रोल और डीजल पर ज्यादा राहत मुश्किल है.

3. ओपेक और तेल उत्पादक अन्य देशों ने जिस तरह से प्रोडक्शन बढ़ाने की बात कही थी, अभी उसमें सुस्ती नजर आ रही है. दूसरी ओर डिमांड बढ़ रही है. डिमांड और सप्लाई का बैलेंस बिगड़ने से क्रूड महंगा होगा.

4. देश में एनजी के दूसरे विकल्पों मसलन एथेनॉल, इलेक्ट्रिक व्हीकल या ग्रीन एनर्जी पर चर्चा चल रही है. लेकिन ये लॉन्ग टर्म प्रक्रिया है और इसमें अभी काफी वक्त लगने वाला है.

5. हाल ही में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि ग्लोबल मार्केट में कच्चा तेल महंगा होने की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा था कि सरकार की आमदनी काफी कम हो गई है लेकिन खर्चे काफी बढ़े हैं. ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स कटौती पर बात करने का ये सही वक्त नहीं है. इस समय सरकार हेल्थ सेक्टर पर काफी खर्च कर रही है.

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