इस साल कपास की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा सकती है. खराब मौसम के बाद भी देश में कॉटन की पैदावार अच्छी हो रही है. देश में इस साल रूई (Cotton) का उत्पादन पिछले साल से करीब 14 फीसदी ज्यादा रहने का अनुमान है. देश में कॉटन की पैदावार (Cotton Production) ज्यादा होने के कारण भारत पिछले साल के मुकाबले इस साल तकरीबन 22 फीसदी कम रूई का आयात करेगा.

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कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) के मुताबिक, भारत में इस साल रुई का उत्पादन 354.50 लाख गांठ (एक गांठ में 170 किलो) हो सकता है जोकि पिछले साल के उत्पादन 312 लाख गांठ से 31.62 फीसदी अधिक है.

कॉटन इंपोर्ट में आएगी कमी

CAI का अनुमान है कि भारत इस साल 25 लाख गांठ रूई का आयात (Cotton Import) करेगा जोकि पिछले साल के मुकाबले सात लाख गांठ यानी 21.8 फीसदी कम है. हालांकि CAI ने निर्यात अनुमान 42 लाख गांठ को यथावत रखा है.

सीएआई के अनुसार, चालू कॉटन सीजन (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश में कॉटन की सप्लाई 403 लाख गांठ रह सकती है जिसमें पिछले साल का बकाया स्टॉक 23.50 लाख गांठ (Cotton Bales) और आयात 25 लाख गांठ के साथ-साथ इस साल का घरेलू उत्पादन 354.50 लाख गांठ शामिल है. कॉटन की घरेलू खपत इस साल 331 लाख गांठ और निर्यात मांग 42 लाख गांठ रहने का अनुमान है. इस प्रकार 30 सितंबर 2020 को देश में कॉटन का बचा हुआ स्टॉक 30 लाख गांठ रहेगा.

उत्तरी जोन में कॉटन का उत्पादन (Cotton Production) अनुमान 65.50 लाख गांठ से घटाकर 63 लाख गांठ कर दिया है जबकि मध्य जोन का उत्पादन अनुमान 196 लाख गांठ से घटाकर 195 लाख गांठ कर दिया है. मध्य जोन के गुजरात (Gujarat) में भारी बारिश और पिंक बॉलवर्म (bollworm) के प्रकोप के कारण किसानों ने करीब 10 फीसदी कपास की फसल निकाल कर दूसरी फसल लगाई है जिसके चलते गुजरात में कपास के उत्पादन अनुमान में चार लाख गांठ की कटौती की गई है. हालांकि महाराष्ट्र (Maharashtra) कॉटन का उत्पादन पिछले अनुमान से तीन लाख गांठ ज्यादा रहने का अनुमान है.

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दक्षिणी जोन में तेलंगाना में कॉटन का उत्पादन अक्टूबर के अनुमान से तीन लाख गांठ और कर्नाटक में 50,000 गांठ ज्यादा रह सकता है.