बजट पेश होने में चंद दिन रह गए हैं. उससे पहले शेयर बाजार में तेज करेक्शन देखने को मिल रहा. प्रमुख इंडेक्स ऑल टाइम हाई से फिसल गए हैं. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि बजट को लेकर बाजार की क्या उम्मीदें हैं? वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट में किन सेक्टर्स पर फोकस कर सकती हैं? क्या बड़े ऐलान हो सकते हैं? इस पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कोटक महिंद्रा AMC के ग्रुप प्रेसिडेंट और MD नीलेश शाह से खास बातचीत की है.  

कैसा रहेगा इस बार का बजट?

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नीलेश शाह ने कहा कि इस बार के बजट में अच्छे राजनीतिक फैसले इकोनॉमी के लिए भी अच्छे हो सकते हैं. उन्होंने कहा कि बजट में फैसले राजनीति और इकोनॉमी दोनों हित में होने चाहिए.

FM वित्तीय घाटे को लेकर क्या करेंगी? 

दिग्गज एक्सपर्ट ने कहा कि देश में टैक्स कलेक्शन काफी मजबूत है. इसलिए वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. बजट में वित्तीय घाटा कम करने का रोडमैप आना जरूरी है. क्योंकि केंद्र और राज्यों का वित्तीय घाटा मिलाकर अभी भी ज्यादा है. ऐसे में वित्तीय घाटे को धीरे-धीरे नीचे लाना होगा.

कैपेक्स कितना जरूरी?

उन्होंने कहा कि कर्ज का असर कम करने के लिए कैपेक्स जरूरी है. अंतरिम बजट में सरकार के लिए कैपेक्स पर फोकस रखना बहुत जरूरी होगा. साथ ही सरकार को इंफ्रा निवेश पर ध्यान देना होगा. रोड, रेलवे, वॉटर के साथ हेल्थ और एजुकेशन में भी पैसा लगाना होगा. क्योंकि प्राइमरी एजुकेशन की स्थिति खराब है. ऐसें में वहां सुधार बेहद जरूरी है. 

रूरल ग्रोथ के लिए क्या करें?

वोट बैंक में महिलाओं, ग्रामीण, बेरोजगार युवाओं और किसानों का बड़ा हिस्सा है. ऐसे में सरकार इन चारों के ऊपर फोकस करेगी. चुंकि रूरल इंडिया में आधी इकोनॉमी एग्रीकल्चर से जुड़ी है. इसलिए एग्रीकल्चर में वैल्यू एडिशन पर ध्यान देना चाहिए. नीलेश शाह ने कहा कि एग्रीकल्चर से एग्रो प्रोसेसिंग तक पहुंचने की जरूरत है. इसलिए इस बजट में एग्रीकल्चर पर फोकस बहुत जरूरी है. 

Highest टैक्स स्लैब वालों को राहत कब?

नीलेश शाह ने कहा कि इंफ्रा में निवेश बढ़ाने के लिए टैक्स कलेक्शन अच्छा रहना जरूरी है. इसलिए टैक्सेशन की खामियों को दूर करने पर ध्यान देना चाहिए. इसके तहत टैक्स का बोझ सब पर बराबर हो. किसी पर ज्यादा बोझ न पड़े. सरकार अगर टैक्स दरें कम करें और दायरे बढ़े तो बेहतर होगा.

Debt को आकर्षक कैसे बनाया जाए?

नीलेश शाह ने कहा कि अच्छे रिटर्न के चलते इक्विटी में निवेश बढ़ रहा है. Debt में ज्यादा टैक्स के चलते इक्विटी में रुचि बढ़ रही है. ऐसे में ग्रोथ के लिए इक्विटी के साथ Debt में निवेश भी जरूरी है. इसलिए Debt को आकर्षक बनाने के लिए टैक्स गैप कम करना चाहिए. 

डिविडेंड पर टैक्स में सुधार चाहिए

उन्होंने कहा कि घरेलू निवेशकों को डिविडेंड पर टैक्स भरना पड़ता है. विदेशी निवेशकों को डबल टैक्सेशन संधि का फायदा है. ऐसे में FPI और लोकल निवेशकों के डिविडेंड टैक्स में बराबरी जरूरी है. 

कैसे बढ़ाएं निवेश कल्चर? 

नीलेश शाह ने कहा कि निवेश कल्चर बढ़ाने के लिए जरूरी कदम उठाने होंगे. इसके तहत अब गोल्ड की ताकत को ग्रोथ में लगाने पर ध्यान देने की जरूरत है. देश में बचत का बहुत बड़ा हिस्सा गोल्ड में अटका हुआ है. घरों, बैंकों में रखा हुआ सोना देश की ग्रोथ बढ़ा सकता है. सरकार को गोल्ड के लिए कोई विशेष योजना बनानी चाहिए. गोल्ड में फंसी हुई सेविंग को अनलॉक करने की जरूरत है. 

डिफेंस में क्या बड़ा हो सकता है?

सरकार को प्रोडक्टिविटी बढ़ाने पर ध्यान देना है. लोकल बनाने से लागत घटेगी और इकोनॉमी को भी बढ़ावा मिलेगा. लोकल डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के लिए सरकार ने बड़े कदम उठाए हैं. डिफेंस में लोकल निर्भरता बढ़ने के साथ देश से एक्सपोर्ट भी बढ़ा है. 

अब किन रिफॉर्म की बड़ी जरूरत?

नीलेश शाह ने कहा कि हेल्थकेयर, एजुकेशन में डिफेंस जैसे रिफॉर्म की जरूरत है. बजट में खर्च न बढ़े लेकिन क्षमता बढ़ जाए तो बेहतर है. साथ ही हेल्थकेयर, एजुकेशन में डिजिटलाइजेशन पर फोकस करना चाहिए. UPI की तरह डिजिटल एजुकेशन और हेल्थकेयर की जरूरत है.