Stock Market Before Budget: जनवरी महीना अबतक शेयर बाजार के लिए बेहतर साबित हुआ है. बजट मंथ की शुरूआत निवेशकों के लिहाज से बेहद शानदार रही है. शुरूआती 2 दिनों में बाजार में निवेशकों की दौलत करीब 5.5 लाख करोड़ बढ़ गई है. लेकिन आप सोच रहे हैं कि बजट के पहले उम्मीदों के चलते बजार में हर साल तेजी आती है तो आप गलत हैं. पिछले कुछ सालों का डाटा देखें तो बजट मंथ में ज्यादातर समय बाजार में कमजोरी का ट्रेंड बना रहता है. साल 2010 से 2021 के बजट की बात करें तो 12 में से 9 बार बजट के 1 महीने पहले बजार की चाल कमजोर रही है. जबकि 3 बार बाजार में तेजी का रुख देखने को मिला है. हालांकि ये ट्रेंड बजट के बाद के महीने में बदल जाता है. 

पिछले साल बजट मंथ में बाजार की चाल

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पिछला बजट 1 फरवरी 2021 को पेश हुआ था. उसके 1 महीने पहले यानी 1 जनवरी 2021 से 31 जनवरी 2021 तक की बात करें तो सेंसेक्स 47868 के स्तर से टूटकर 46286 के स्तर पर आ गया था. सेंसेक्स में 1582 अंकों यानी 3.3 फीसदी की गिरावट आई थी. हालांकि बजट वाले दिन सेंसेक्स में 5 फीसदी के करीब तेजी रही है.

2010 से 2020 के बीच का हाल

साल 2020 में 1 फरवरी को बजट पेश हुआ था. उस साल बजट मंथ के दौरान 1 महीने में सेंसेक्‍स में 1.28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. 

साल 2019 में बजट के पहले 5 जून से 5 जुलाई के बीच सेंसेक्‍स 0.04 फीसदी कमजोर हुआ था. 

2018 में 1 जनवरी से 1 फरवरी के बीच इसमें करीब 5.6 फीसदी तेजी आई थी. 

2017 में बजट मंथ में 4 फीसदी की तेजी दर्ज की गई.  

2016 में सेंसेक्‍स बजट के पहले 1 महीने में करीब 6.1 फीसदी कमजोर हुआ थाा.

2015 में बजट मंथ के दौरान सेंसेक्स में 1.15 फीसदी कमजोरी आई थी. 

2014 में बजट के पहले 10 जून से 10 जुलाई के बीच सेंसेक्स 0.54 फीसदी टूटा था. 

2013 में बजट मंथ के दौरान सेंसेक्स में 3.5 फीसदी कमजोरी आई थी.

2012 में बजट मंथ के दौरान बाजार में तेजी रही.

2011 में बजट मंथ के दौरान सेंसेक्स में 3 फीसदी कमजोरी आई थी.

2010 में भी सेंसेक्स बजट के पहले 1 महीने में 2 फीसदी कमजोर हुआ था.

बजट के पहले बाजार में कौन से फैक्टर

इस साल बजट के पहले देखें तो बाजार में कुछ पॉजिटिव और निगेटिव फैक्टर मौजूद हैं. देश में जहां कोविड 19 के मामलों में एक बार फिर तेजी आने लगी है, वहीं कुछ राज्यों में पाबंदियां बढ़ रही हैं. ओमिक्रॉन को लेकर ग्लोबल कंसर्न बना हुआ है. यूएस फेड इस साल 3 बार ब्याज दरें बढ़ा सकता है, जबकि महंगाई भी एक कंसर्न है. पॉजिटिव फैक्टर्स में यह है कि एक बार फिर विदेशी निवेशकों का पैसा बाजार में आना शुरू हुआ है. डीआईआई लगातार सपोर्ट कर रहे हैं. मैक्रो कंडीशंस सुधरे हैं, डिमांड बढ रही है. कॉरपोरेट अर्निंग में सुधार के बीच इकोनॉमिक रिकवरी जारी है.