Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट में सरकारी खरीद और सरकारी प्रोजेक्ट्स में बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में श्योरिटी बॉन्ड (budget 2022) highlights का एलान (budget 2022 highlights) कर लिक्विडिटी की किल्लत झेल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बड़ी राहत दी है. इन्फ्रा, रोड, हाउसिंग कंपनियों में लिक्विडीटी की दिक्कत को दूर करने के लिए श्योरिटी बॉन्ड मददगार साबित होगा. बजट पेश करते हुए में वित्त मंत्री ने कहा कि कॉन्ट्रैक्टर्स और सप्लायर्स के लिए अप्रत्यक्ष लागत को कम करने के लिए, सरकारी खरीद में बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में इंश्योरेंस कपंनी की श्योरिटी बांड के इस्तेमाल को स्वीकार किया जाएगा. 

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प्रोजेक्ट में डिलिवरी पूरी होने की गारंटी मिलेगी

श्योरिटी बॉन्ड (surety bond budget) के जरिए इंश्योरेंस कंपनी प्रोजेक्ट में डिलिवरी पूरी होने की गारंटी देगी. इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स में बैंक गारंटी में रियायत नहीं मिलने पर श्योरिटी बॉन्ड की जरूरत लंबे वक्त से की जा रही थी. बजाज एलायंज जनरल इंश्योरेंस के MD & CEO तपन सिंघल के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर ढांचे के विकास के लिए इंश्योरेंस कंपनियां सप्लायर्स और कॉन्ट्रैक्टर्स को अप्रत्यक्ष लागत को कम करने के लिए श्योरिटी बांड जारी करने में सक्षम होंगे जिसका इस्तेमाल बैंक गारंटी के विकल्प के रूप में किया जा सकेगा. IRDAI ने हाल ही में श्योरिटी बॉन्ड की गाइडलाइंस जारी की है. इससे इंन्फ्रा प्रोजेक्ट्स की लागत थोड़ी कम हो जाएगी और प्रोजेक्ट पूरा होने की संभावना में सुधार होगा.

IRDAI ने श्योरिटी बॉन्ड्स की गाइडलाइंस जारी की है

हाल में ही इंश्योरेंस रेगुलेटर IRDAI ने श्योरिटी बॉन्ड्स की गाइडलाइंस जारी कर दी है और 1 अप्रैल 2022 से नॉन लाइफ इंश्योरेंस कंपनिया श्योरिटी बॉन्ड कारोबार कर सकती है. IRDAI की गाइडलाइंस के मुताबिक श्योरिटी बॉन्ड कारोबार के लिए इंश्योरेंस कंपनी की सॉल्वेंसी मार्जिन 1.25 से ज्यादा होना चाहिए और इंश्योरेंस कंपनी अपने सालाना प्रीमियम के 10% या 500 करोड़ रुपए के प्रीमियम से ज्यादा का कोरोबार नहीं कर सकती है. IRDAI गाइडलाइंस के मुताबिक श्योरिटी बॉन्ड्स के तहत गारंटी की सीमा प्रोजेक्ट मूल्य के 30% ज्यादा नहीं होनी चाहिए और एक से अधिक प्रोजेक्ट को नहीं जोड़ा सकता.

कॉन्ट्रैक्टर्स को प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद मिलेगी

PWC इंडिया के पार्टनर जॉयदीप रॉय का मानना है कि कई विकसित इंटरनेशनल मार्केट में, इंश्योरेंस कंपनियां कॉन्ट्रैक्टर के ट्रैक रिकॉर्ड, कठिनाई के स्तर और प्रोजेक्ट में उठाए गए रिस्क से प्रोजेक्ट के पूरा न होने के जोखिम का आकलन करती हैं और श्योरिटी बॉन्ड जारी करती है जो कॉन्ट्रैक्टर द्वारा विफल होने की स्थिति में प्रोजेक्ट के प्रायोजकों को पेनाल्टी की गारंटी के रूप में होता है. प्राकृतिक आपदा, प्रोजेक्ट को पूरा करने की दूसरी बाधाओं को भी इंश्योरेंस कंपनी को अंडराइटिंग में शामिल करना होगा. रीइंश्योरेंस स्पोर्ट के बाद इंश्योरेंस कंपनी के श्योरिटी बॉन्ड्स (surety bond budget) से कॉन्ट्रैक्टर्स को प्रोजेक्ट पूरा करने में मदद मिलेगी और इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को ग्रोथ मिलेगी.

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श्योरिटी बॉन्ड का कारोबार इंश्योरेंस कंपनियों के लिए कैसा होगा

जनरल इंश्योरेंस कंपनी के MD ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि श्योरिटी बॉन्ड (surety bond budget) का कारोबार इंश्योरेंस कंपनियों के लिए रिस्क और अनिश्चितता भरा भी हो सकता है क्योंकि बैंक गांरटी देने को तैयार नहीं है. इसलिए इंश्योरेंस कंपनियों को इसमें शामिल किया जा रहा है लेकिन कंपनियों के लिए अलग किस्म के कारोबार की शुरुआत जरूर है. ट्रांसपोर्ट मंत्रालय ने IRDAI से कंपनियों के श्योरिटी बॉन्ड जारी करने की मांग की थी और ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी ने जुलाई 2020 में रोड सेफ्टी वर्कशॉप के दौरान इंन्फ्रा प्रोजेक्ट्स के लिए श्योरिटी की जरूरत की बात कही थी जिससे बजट में मंजूरी मिल गई है.