सरकार जो बजट पेश करती है, उसमें जीडीपी के ग्रोथ के आंकड़े काफी फोकस रहता है. यानि कि देश में आर्थिक विकास कितनी तेजी से हो रहा है, इसका लेखा-जोखा. GDP यानि ग्रोस डोमेस्टिक प्रोडेक्ट, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि पूरे साल में देश में कितने सामान का उत्पादन हुआ और कितनी सेवाएं दीं. कुल उत्पादन और कुल सर्विस को जोड़ देते हैं.

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जी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने GDP के बाद अब Disinvestment (विनिवेश) के मायने बताए हैं. उनके मुताबिक सरकार का काम है, सरकार चलाना और देश चलाना. वह किसी कारोबारी गतिविधि में नहीं लगती. सरकारी कंपनियों यानि PSU को सरकार ने ही शुरू किया था. ऐसा इसलिए था, क्‍योंकि उस समय जरूरत के मुताबिक फैसला लिया गया. अब सरकार अपनी हिस्‍सेदारी इन कंपनियों में कम भी कर सकती है.

ऐसा करने से सरकार को रकम मिलेगी, जो वह लाभकारी योजनाओं में लगाएगी. इसीलिए सरकार हर साल Disinvestment का टार्गेट तय करती है. इसे देखकर शेयर बाजार अंदाजा लगाता है कि इतना पैसा सरकार को Disinvestment से लेना है, उतना बाजार को अच्‍छा रखने की भी कोशिश होगी. बाजार के अच्‍छा रहने पर ही स्‍टेक की अच्‍छी रकम मिलेगी. इसलिए हर साल के Disinvestment Target पर निवेशक को नजर रखनी चाहिए.

डायरेक्‍ट टैक्‍स Vs इनडायरेक्‍ट Tax  

Direct tax वह टैक्स होता है जो सरकार वसूलती है आपसे आपकी कमाई के ऊपर. यानी आपने कमाई की है तो आपको यह टैक्स देना है और अगर कमाई नहीं की है तो टैक्स नहीं देना है. आयकर डायरेक्ट टैक्स में ही आता है. आप कमाई करते हैं तभी तो इनकम टैक्स भरते हैं. लेकिन Indirect tax का कमाई से कोई लेना-देना नहीं है. आप कुछ कमाएं या न कमाएं लेकिन Tax देना ही पड़ेगा.

अगर आपने कोई खरीदारी की तो आपकी जेब से कुछ पैसे निकलकर सरकार के खाते में चले जाते हैं. पहले कई तरह के टैक्‍स थे मसलन VAT, Excise duty और दूसरे तरह के टैक्‍स. लेकिन अब सरकार ने सबको खत्‍म करके कर दिया Indirect Tax को बना दिया है GST.

डायरेक्ट टैक्स में इनकम टैक्स के अलावा गिफ्ट टैक्स, वेल्थ टैक्स, कैपिटल गेन टैक्स आदि टैक्स भी शामिल होते हैं. अगर आप कमाई करते हैं तो इन टैक्सों का भुगतान करना होता है. कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स इस टैक्स के दायरे में आता है. जिस व्यक्ति या कंपनी ने कमाई की है उसे डायरेक्ट टैक्स देना ही होता है.

Direct Tax में ये टैक्स शामिल

- आय कर (Income Tax)

- कैपिटल गेनस टैक्स (Capital Gains Tax)

- सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स (Securities Transaction Tax)

- कॉर्पोरेट कर (Corporate Tax)

- गिफ्ट टैक्स (Gift Tax)

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