बड़ी कंपनियों का कुछ मामलों में रवैया रिटेल निवेशकों के प्रति किस तरह दोयम दर्जे का होता है, और हिंदी दर्शकों के तौर पर रिटेल इन्वेस्टर्स से कैसे भेदभाव हो रहा है, इसे लेकर Zee Business के मैनेजिंग एडिटर और मार्केट गुरु अनिल सिंघवी ने मुद्दा उठाया. आज TCS के नतीजों के बहाने उन्होंने कहा कि रिटेल इन्वेस्टर्स के लिए हमेशा लेवल प्लेइंग फील्ड होना चाहिए. चाहे आप छोटे से छोटे निवेशक हों, या फिर बड़े निवेशक हों, बाजार में सबका अधिकार समान होना चाहिए. हर एक शेयरहोल्डर का पूरा हक है और उससे उसका हक नहीं छीना जा सकता.

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कंपनियों के किस रवैये पर उठा मुद्दा

अनिल सिंघवी ने कहा कि टीसीएस जैसी बड़ी दिग्गज कंपनियों से मुझे आपत्ति है कि वो हिंदी के दर्शकों के दोयम दर्जे के दर्शक और दोयम दर्जे के इन्वेस्टर की तरह पेश आते हैं. टाटा ग्रुप का अपना कल्चर रहा है. जितने परोपकारी काम ये ग्रुप करता है, शायद ही उतना कोई और कंपनी करती होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि ये थॉट प्रोसेस नीचे नहीं आ पा रहा है. 

उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए कहा कि ये बड़ी कंपनियां किसी बड़े मौके पर अंग्रेजी चैनलों को सुबह में रिपोर्ट और इंटरव्यू दे देती हैं, लेकिन हिंदी को ये रिपोर्ट दो-तीन घंटे बाद मिलती है. अगर कुछ कंपनियां इंटरव्यू देती भी हैं तो बड़े अधिकारी नहीं आते. ऐसा हमेशा होता है, कॉनकॉल पर होता है, रिजल्ट्स पर होता है. भेदभाव वाला रवैया टाटा ग्रुप का नहीं रहा है, लेकिन अब ये कल्चर टीसीएस में नहीं रहा, ऐसा लगता है.

रेगुलेटर्स भी रिटेल इन्वेस्टर्स की सोचें

अनिल सिंघवी ने कहा कि इस मामले को सेबी को देखना चाहिए, कॉरोपोरेट अफेयर्स मंत्रालय को भी देखना चाहिए. ये स्टॉक एक्सचेंज की जिम्मेदारी है कि बाजार के रिटेल और बाकी इन्वेस्टर्स को सारी इन्फॉर्मेशन एक प्लेटफॉर्म पर एक समय पर मिले. उन्होंने कहा कि अगर कंपनियां हिंदी दर्शकों को दोयम दर्जे का मानकर चलेंगे तो ऐसा नहीं चलेगा.