नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के IPO का इंतजार कर रहे हैं तो आपके लिए काम की खबर है. बोर्ड ऑफ सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की होने वाली बोर्ड मीटिंग में NSE के IPO पर चर्चा हो सकती है. इस बात पर चर्चा हो सकती है कि क्या मार्केट रेगुलेटर को NSE के ऑफर फॉर सेल (OFS) की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए. इसके अलावा भी 28 सितंबर को बोर्ड मीटिंग में बाजार से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है. इस बारे में विस्तार से बता रहे हैं ब्रजेश कुमार.

क्या शुरू होगी OFS की प्रक्रिया

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मामले से जुड़े एक सूत्र ने जी बिजनेस को बताया कि कई डिपार्टमेंट में लंबित मामलों के बावजूद SEBI द्वारा NSE को उसके ऑफर फॉर सेल के लिए दस्तावेज (DRHP) फाइल किए जाने की अनुमति देनी चाहिए. सूत्र ने यह भी बताया कि इंटरनल सर्कुलर के अनुसार जहां कंपनियां SEBI के आदेशों का पालन नहीं करती हैं, मार्केट रेगुलेटर वहां IPO या OFS के लिए अनुमति नहीं देता है.

यहां तक ​​कि अधिनिर्णय दंड (Adjduction penalty) भी अगर पेंडिंग है तो वहां भी रेगुलेटर कोई मंजूरी नहीं देता है. यहां, कई मामले पेंडिंग हैं और NSE ने चुनिंदा रूप से SEBI के आदेश को अदालतों में चुनौती दी है. इस स्थिति में, क्या रेगुलेटर OFS की प्रक्रिया शुरू कर सकता है या नहीं, इस पर बोर्ड के साथ चर्चा की जा सकती है.

इन मुद्दों पर भी चर्चा

NSE के आईपीओ के अलावा SEBI की बोर्ड मीटिंग में रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन की परिभाषा के दायरे को व्यापक बनाने पर चर्चा हो सकती है. वहीं इसके अलावा रेगुलेटर मार्केट इंसटीट्यूशनल इंफ्रास्ट्रक्चर (MII’s) के लिए शेयरहोल्डिंग के मानदंडों पर भी चर्चा कर सकता है. SEBI बोर्ड स्टॉक एक्सचेंज और डिपॉजिटरी सेटअप करने के लिए नए खिलाड़ियों की एंट्री की सुविधा के लिए ओनरशिप और गवर्नेंस मानदंडों की समीक्षा के बारे में तीसरी बार चर्चा कर सकता है.

डिस्कसन पेपर पर बोर्ड को प्रेजेंटेशन

सूत्र ने जी बिजनेस को बताया कि मार्केट रेगुलेटर डिस्कसन पेपर पर बोर्ड को प्रेजेंटेशन दे सकता है, जो इसी साल जनवरी में जारी किया गया था. हालांकि, इस बार शेयरहोल्डिंग क्राइटेरिया पर कुछ संशोधनों की उम्मीद है और MII’s का विलय किया जा सकता है जो पहले डिस्कसन पेपर में नहीं था. SEBI रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन का दायरा बढ़ा सकता है. सेबी पिछले साल वर्किंग ग्रुप द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद डिस्कसन पेपर लेकर आया था.

वर्किंग ग्रुप ने 'रिलेटेड पार्टी' की परिभाषा में मॉडिफिकेशन का प्रपोजल दिया है. इसके मुताबिक, लिस्‍टेड कंपनी के प्रमोटर ग्रुप या प्रमोटर की किसी कंपनी या व्‍यक्ति से संबंध रखने वाले को रिलेटेड पार्टी की परिभाषा में लाया जाए. इसमें जरूरी नहीं कि उस व्‍यक्ति या कंपनी की हिस्‍सेदारी लिस्‍टेड कंपनी में हो. मौजूदा व्‍यवस्‍था के मुताबिक, ऐसे व्‍यक्ति या ककंपनी के लिए लिस्‍टेड कंपनी या में 20 फीसदी या इससे ज्‍यादा की हिस्‍सेदारी होनी चाहिए. प्रपोजल में इसे हटाने का प्रावधान किया गया है.

सोशल स्टॉक एक्सचेंज

Sebi सोशल स्टॉक एक्सचेंज की कार्यान्वयन की रूपरेखा और टाइमलाइन को अंतिम रूप दे सकता है जिसे 2019-20 के केंद्रीय बजट में प्रस्तावित किया गया था. इसके साथ ही मार्केट रेगुलेटर की फॉरेन पोर्टफोलियो इन्वेटर्स श्रेणी 3 में कुछ संशोधन करने की योजना है और सेबी कर्मचारियों के लिए सेवानिवृत्ति योजना को लागू करने का प्रस्ताव रखा जा सकता है.