रिजर्व बैंक (RBI) ने एक आर्टिकल में कहा है कि घरेलू यूनिकॉर्न्‍स (unicorns) के IPO आने से साल 2021 'भारत का आईपीओ साल' बन सकता है. इन IPOs से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी आई और इससे ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स में भी उत्‍साह देखने को मिला. RBI ने एक लेख में कहा कि हाल के महीनों में नई कंपनियों की ओर से लाए गए सफल आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPOs) भारतीय टेक्‍नेलॉजी के बिजनेस की तेजी को दिखाते हैं. यूनिकॉर्न उन स्टार्टअप्‍स को कहते हैं, जिनकी मार्केट वैल्‍यू 1 बिलियन डॉलर हो जाती है. साल 2021 में अबतक करीब 36 कंपनियों के IPOs आ चुके हैं. इनसे कंपनियां 60 हजार करोड़ से ज्‍यादा जुटा चुकी है. आने वाले महीनों में Paytm और LIC जैसी कंपनियां अपना आईपीओ लाने वाली हैं. 

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RBI ने 'स्‍टेट ऑफ इकोनॉमी' (state of economy) विषय पर एक आर्टिकल में कहा, 'ग्रोथ की रफ्तार फाइनेंशियल मार्केट्स में नई एनर्जी भर रही है. साल 2021 भारत में आईपीओ वर्ष बन सकता है. भारतीय यूनिकॉर्न (अनलिस्‍टेड स्टार्टअप्‍स) की ओर से आईपीओ की पहली पेशकश एक फूड डिलीवरी ऐप से हुई. यह आईपीओ 38 गुना ओवरसब्‍सक्राइब हुआ. इनकी वजह से घरेलू शेयर बाजारों में तेजी का रुख है, वहीं ग्‍लोबल इन्‍वेस्‍टर्स में जबरदस्‍त उत्साह है.' आर्टिकल में  जोमैटो के आईपीओ का उदाहरण दिया गया है. यह लेख रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्र के नेतृत्व में एक टीम ने लिखा है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और जरूरी नहीं कि वे रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हों.

डिजिटल पेमेंट, ई-कॉमर्स पर इन्‍वेस्‍टर लट्टू!

आर्टिकल में कहा गया है कि एक पेमेंट एंड फाइनेंशयल ऐप सर्विसेज ऐप की ओर से 2.2 अरब डॉलर जुटाने के लिए प्रस्तावित आईपीओ, भारत के डिजिटलीकरण - डिजिटल पेमेंट सॉल्‍यूशन, ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स को लेकर इन्‍वेस्‍टर्स के जोश को दिखाता है. पेमेंट ऐप पेटीएम अपना 2.2 अरब डॉलर का आईपीओ लाने वाला है. आर्टिकल में केमिकल मैन्‍युफैक्‍चरिंग एक्‍सपोर्ट के एक आईपीओ का जिक्र किया गया, जिसके ईश्‍यू को 180 गुना सब्‍सक्रिप्‍शन मिला. आर्टिकल के मुताबिक, जिस तरह लिस्टिंग हो रही है, उससे लग रहा है कि भारतीय कंपनियां मार्केट का बेनेफिट लेना चाहती हैं और निवेशकों में डर का माहौल गायब है. यही वजह है कि बेंचमार्क इंडेक्‍स रिकॉर्ड बना रहे हैं. 

नए युग की शुरुआत 

आर्टिकल में कहा गया कि साफ तौर पर एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है. ऐसा अनुमान है कि भारत में 100 यूनिकॉर्न  (Credit Suisse, 2021) हैं. 2019 में 10 और 2020 में 13 नए यूनिकॉर्न बने. वहीं, कोरोना महामारी के बावजूद 2021 में एक महीने के भीतर 3 नए यूनिकॉर्न बने हैं. ये कंपनियां विरासत में मिले वेल्‍थ, बैंक लोन या एक्‍स्‍ट्रा बिजनेस कनेक्‍शन पर निर्भर नहीं करती, बल्कि टैलेंट और इनोवेशन के आइडिया पर निर्भर हैं. आर्टिकल में यूके स्थित द इकोनॉमिस्ट ऑफ इट्स बिग मैक इंडेक्स की लेटेस्‍ट अपडेट का हवाला देते हुए कहा गया है कि महाराजा मैक के संदर्भ में भारत फिलहाल दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी है. 

2021 में अबतक 36 आईपीओ 

बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में अबतक 36 आईपीओ आ चुके हैं. खास बात यह है कि सभी आईपीओ सफल रहे हैं. इन्‍होंने मार्केट से 60 हजार करोड़ से ज्‍यादा जुटा लिए हैं. बड़े आईपीओ में जोमैटो रहा, जिसने 9 हजार करोड़ से ज्‍यादा की रकम मार्केट से जुटाई.