ट्रकों के एग्रिगेटर LetsTransport ने हाल ही में सीरीज ई फंडिंग (Startup Funding) राउंड के जरिए करीब 22 मिलियन डॉलर यानी करीब 183 करोड़ रुपये का फंड जुटाया है. यह स्टार्टअप (Startup) ट्रकों के एग्रिगेटर की तरह तमाम बिजनेस को सेवा मुहैया कराता है, जिससे ट्रांसपोर्टेशन को आसान बनाने की कोशिश है. कंपनी के को-फाउंडर सुदर्शन रवि झा के पिता एक एलआईसी एजेंट थे. आज के वक्त में यह स्टार्टअप सालाना 700 करोड़ रुपये से भी अधिक का रेवेन्यू कमाता है.

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ये फंडिंग राउंड Bertelsmann India Investments (BII) के नेतृत्व में हुआ है, जिसने अकेले ही 16 मिलियन डॉलर का निवेश किया है. इसने पिछले राउंड में भी 20 मिलियन डॉलर का निवेश किया था. इसके अलावा Rebright Partners, NB Ventures, ALES Global, Stride Ventures और CAC Capital ने भी कंपनी में निवेश किया है.

Bertelsmann India Investments (BII) में पार्टनर Rohit Sood ने कहा है कि 2019 में इस स्टार्टअप के साथ पार्टनरशिप के बाद से अब तक कंपनी ने शानदार प्रदर्शन किया है. यहां तक कि कोरोना महामारी की चुनौतियों के बावजूद कंपनी ने अच्छा प्रदर्शन किया है. 

2015 में हुई थी शुरुआत

इस कंपनी की शुरुआत 2015 में आईआईटी खड़गपुर से पढ़े पुष्कर सिंह, सुदर्शन रवि झा और अंकित पराशर ने की थी. यह कंपनी तमाम बिजनेस को ट्रांसपोर्टेशन के लिए ट्रक की सेवा मुहैया कराता है. यह कंपनियों को ट्रक ऑपरेटर्स से लिंक मुहैया कराता है. कंपनी का मकसद है कि वह अनऑर्गेनाइज्ड लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री को ऑर्गेनाइज करे. एक अनुमान के मुताबिक लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री की वैल्यू करीब 200 अरब डॉलर है.

कहां होगा फंडिंग का इस्तेमाल?

LetsTransport फंडिंग से जुटाए पैसों का इस्तेमाल अपने बिजनेस को बढ़ाने में करेगा. साथ मुनाफे की ओर अपने कदम बढ़ाते रहने में भी इस फंडिंग से मदद मिलेगी. बता दें कि अभी कंपनी सिटी लेवल पर EBITDA के मामले में मुनाफे में है और 2025 तक मुनाफे में आने की कोशिश कर रही है. कंपनी लास्ट माइल और मिड माइल डिलीवरी पर फोकस करना चाहती है.

LIC एजेंट के बेटे ने बनाई 700 करोड़ की कंपनी

LetsTransport  की शुरुआत सुदर्शन रवि झा ने अपने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर की थी. सुदर्शन का जन्म एक मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. उनके पिता एक एलआईसी एजेंट थे और उनकी मां एक हाउसवाइफ थीं. सुदर्शन ने कोटा जाकर जेईई की तैयारी भी की और 2008 में आईआईटी खड़गपुर तक का रास्ता तय किया. बचपन में सुदर्शन आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे. उन्होंने Accenture और J.P. Morgan जैसी दिग्गज कंपनियों में नौकरी भी की. इसके बाद 2015 में उन्होंने दोस्तों के साथ मिलकर इस स्टार्टअप को शुरू किया, जो आज 700 करोड़ रुपये से भी ज्यादा का रेवेन्यू देता है.