Trademark Registration: आप अपना बिजनेस या अपनी स्टार्टअप कंपनी शुरू कर रहे हैं, ऐसे में आपने बड़ा दिमाग लगाकर अपना एक ब्रांड नेम, या ट्रेडमार्क सोचा होगा, अब चूंकि ये आपकी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है तो आपको इसे तुरंत रजिस्टर करा लेना चाहिए. ट्रेडमार्क कुछ भी हो सकता है, यह आपका नाम हो सकता है, टैगलाइन हो सकती है या फिर कोई ग्राफिक्स हो सकता है. आपको इसका ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन प्रोसेस शुरू कर लेना चाहिए. किसी भी बिजनेस के लिए उसका ट्रेडमार्क सबसे बड़ी प्रॉपर्टी होता है, ऐसे में अगर कोई इसे चुराता है या फिर इसे कॉपी करता है तो आपको इसका बड़ा नुकसान हो सकता है, ऐसे में ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन का प्रूफ आपकी मदद करता है. इससे आपको लीगल प्रोटेक्शन मिलता है.

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तो हम आज जानेंगे कि अगर आप अपना बिजनेस शुरू कर रहे हैं या फिर करना चाहते हैं तो इसके ट्रेडमार्क या ब्रांडनेम को इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की तरह कैसे सिक्योर कर सकते हैं.

कौन करता है आपका ट्रेडमार्क रजिस्टर

भारत में Controller General of Patents, Designs and Trade Marks बिजनेसेज़ के लिए ट्रेडमार्क का रजिस्ट्रेशन करता है. आप इसके साथ ऑफलाइन और ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन प्रोसेस दोनों शुरू कर सकते हैं. ऑफलाइन के लिए आपको अपने ज्यूरिस्डिक्शन में ट्रेडमार्क रजिस्ट्री के पास जाना चाहिए. ऑनलाइन के लिए आपको ट्रेडमार्क रजिस्ट्री के ऑफिशियल पोर्टल पर जाना होगा.

ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन का ऑनलाइन प्रोसेस क्या होता है?

1. ट्रेडमार्क ऑफिस पोर्टल पर रजिस्टर करें

आपको सबसे पहले इस पोर्टल के लिंक पर जाना होगा- https://ipindiaonline.gov.in/trademarkefiling/user/frmLoginNew.aspx. आपको यहां साइन अप करना होगा. इसके बाद यूजर आईडी और डिजिटल सिग्नेचर के साथ लॉग इन किया जा सकता है.

2. ट्रेडमार्क सर्च करिए

आपको इस लिंक- https://ipindiaonline.gov.in/tmrpublicsearch/frmmain.aspx पर जाकर यह सर्च करना होगा कि जो ट्रेडमार्क आपने सोचा है वो किसी और के पास पहले से तो रजिस्टर्ड नहीं है.

3. ट्रेडमार्क ऐप्लीकेशन फाइल करें

ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के लिए आपको नियम के अनुसार फॉर्म भरना होगा, इसके साथ जरूरी डॉक्यूमेंट्स और फीस देनी होती है. एक बार फाइलिंग हो जाने पर आप अपने सुपरस्क्रिप्ट में (™) का सिंबल यूज करना शुरू कर सकते हैं. आपके एप्लीकेशन का रिव्यू किया जाएगा. कुछ अधूरा रहा, तो आपसे पूछा जाएगा. वर्ना एक्जामिनेशन के लिए मार्क कर दिया जाएगा. आपको बाद में फॉलोअप लेना होगा कि आपका काम कहां तक पहुंचा है.

4. ऐप्लीकेशन का एग्जामिनेशन होगा

इसके बाद आपके ट्रेडमार्क एप्लीकेशन को क्वालिफाइड एग्जामिनर्स एग्जामिन करेंगे, अगर कोई कमी है, तो इसे दूर करने के लिए आपको एक टाइम ड्यूरेशन दिया जाएगा. अगर यहां भी सब ठीक रहता है तो आपका ट्रेडमार्क या ब्रांडनेम, ट्रेडमार्क जर्नल में पब्लिश किया जाता है. यह चार महीनों का विंडो रहता है, अगर किसी को दिक्कत है तो वो अपना विरोध दर्ज करा सकता है.

5. हियरिंग भी होती है

अगर एग्जामिनेशन रिपोर्ट पर दिया गया रिस्पॉन्स संतोषजनक नहीं रहता है तो आपको एक सुनवाई के लिए बुलाया जाता है. यहां आपको अपने ब्रांड का केस रखने का मौका मिलता है.

6. ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन और सर्टिफिकेशन

जर्नल में पब्लिश होने के बाद आपके ट्रेडमार्क के लिए रजिस्ट्री के सील के तहत रजिस्ट्रेशन और सर्टिफिकेट जारी किया जाता है. रजिस्ट्री की ओर मेंटेन किए जा रहे Central Register of Trade Marks में इसकी डीटेल डाली जाती हैं. रजिस्टर्ड ट्रेडमार्क सिंबल (®) ऐप्लीकेंट के नाम पर रजिस्टर होने के बाद यूज किया जा सकता है. 

बता दें कि यह पूरा प्रोसेस 6 से 12 महीने ले लेता है, लेकिन इसके बाद ट्रेडमार्क अनलिमिटेड टाइम के लिए आपका हो जाता है, हालांकि, आपको इसे हर 10 साल पर रिन्यू कराना पड़ता है.

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