एग्रीकल्चर की दुनिया में इस वक्त बहुत सारे स्टार्टअप (Startup) शुरू हो चुके हैं. कोई किसानों की मदद कर रहा है तो कोई खेत-खलिहानों को बेहतर बना रहा है. इन सब के बावजूद आपने अक्सर देखा होगा कि सही दाम ना मिल पाने की वजह से कुछ किसानों के अपनी फसल फेंकनी पड़ती है या बर्बाद करनी पड़ती है. ऐसे किसानों के लिए स्टार्टअप S4S Technology एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. इस स्टार्टअप का एक ब्रांड है मूंबा (Moomba), जो किसानों से प्याज, टमाटर, लहसुन, अदरक, कॉर्न जैसी चीजें खरीदते हैं और उसकी प्रोसेसिंग खरीदते हैं.

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मूंबा की शुरुआत मुंबई में 7 स्टूडेंट्स ने कॉलेज के दौरान की थी. इसे लेकर 2014-18 तक अलग-अलग कॉलेज में रिसर्च चली और फिर 2019 में सभी ने मिलकर S4S Technologies की शुरुआत की. को-फाउंडर्स में से एक वैभव तिड़के बताते हैं कि मूंबा के तहत महिला किसानों के साथ मिलकर काम किया है. यह स्टार्टअप उन महिला किसानों को प्रोक्योरमेंट एजेंट बनाता है, जो किसानों ने उनकी फसल खरीदती है. 

प्रोडक्ट सुखाकर बनाया जाता है पाउडर

महिला किसानों को स्टार्टअप की तरफ से फूड प्रोसेसिंग की ट्रेनिंग भी दी जाती है. इसके बाद उन चीजों को फूड इनग्रेडिएंट्स में बदला जाता है. प्याज से अनियन पाउडर बनता है, टमाटर से टोमैटो पाउडर बनता है, हल्दी से टर्मरिक पाउडर बनता है और कॉर्न स्टार्च भी बनाया जाता है. इसके बाद इन प्रोडक्ट को होटल, रेस्टोरेंट, कैटरर और एफएमसीजी कंपनियों को देने के साथ-साथ एक्सपोर्ट भी किया जाता है.

खास टेक्नोलॉजी का करते हैं इस्तेमाल

वैभव कहते हैं कि फूड प्रोसेसिंग के लिए किसी फूड प्रोडक्ट की शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए या तो आप प्रोडक्ट्स को फ्रीज कर सकते हैं या फिर उसकी नमी निकाल कर सकते हैं. आमतौर पर नमी निकालने की प्रक्रिया में तापमान काफी ज्यादा होने की वजह से प्रोडक्ट के न्यूट्रिशन खत्म हो जाते हैं. वहीं मूंबा एक ऐसी टेक्नोलॉजी के जरिए फूड प्रोसेसिंग करता है, जिससे उनका न्यूट्रिशन बना रहता है. बता दें कि यह स्टार्टअप 'सोलार कंडक्शन ड्रायर' टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है. इसके जरिए प्रोडक्ट्स को सुखाया जाता है, जिससे उसकी न्यूट्रिशन वैल्यू बनी रहती है.

क्या है पूरी प्रोसेस?

सबसे पहले महिला किसान तमाम अन्य किसानों से प्रोडक्ट इकट्ठा करती हैं और फिर उसे मुंबा प्रोक्योरमेंट सेंटर लाया जाता है. पहले प्याज की धुलाई होती है और फिर कटाई के बाद डीहाइड्रेशन की प्रक्रिया की जाती है. इसके लिए 'सोलार कंडक्शन ड्रायर' से तमाम प्रोडक्ट को सुखाया जाता है और फिर उसे मशीन में डालकर पाउडर बनाया जाता है. इसके बाद प्रोडक्ट की पैकेजिंग की जाती है और फिर शिपमेंट के जरिए फैक्ट्री में भेज दिया जाता है. वहां पर क्वालिटी कंट्रोल, नमी की टेस्टिंग, फूड सेफ्टी आदि की जांच की जाती है और फिर बेचा जाता है.

200 करोड़ का है बिजनेस

वैभव बताते हैं कि भारत में इसका करीब 200 बिलियन डॉलर का मार्केट है. मौजूदा वक्त में कंपनी का एनुअल रेवेन्यू करीब 200 करोड़ रुपये का है. यह स्टार्टअप लगभग 3 लाख किसानों से प्रोडक्ट्स लेता है और लगभग 3000 महिलाएं इस स्टार्टअप से जुड़ी हैं. मौजूदा वक्त में कंपनी महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और यूपी के किसानों से प्रोडक्ट लेता है.